“जलवायु परिवर्तन में मैककेनाइट बंदोबस्ती के मूल्य को कम करने की क्षमता है। जलवायु परिवर्तन के दीर्घकालिक समझ - इसके कारणों और इसके समाधानों को शामिल करना - बंदोबस्ती के रिटर्न की रक्षा का हिस्सा है। ”

हम कैसे निवेश करते हैं

यह एक व्यावहारिक ढांचा है जिसे वित्तीय और मानव संसाधनों के आधार पर ऊपर या नीचे बढ़ाया जा सकता है, और यह अपने संपूर्ण बंदोबस्ती की मांसपेशियों को फ्लेक्स करने में अनुभवी प्रभाव निवेशकों की सहायता कर सकता है।

McKnight Foundation सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से स्थायी समुदायों की ओर काम करने वाले गैर-लाभकारी संगठनों का समर्थन करने के लिए प्रति वर्ष $100 मिलियन से अधिक का अनुदान देता है। हम उच्च सकारात्मक प्रभावों के साथ निवेश में कम से कम $200 मिलियन का निवेश करेंगे। और हम अपने मिशन के साथ अपने $3 बिलियन एंडोमेंट का लाभ उठाने के लिए अन्य रोमांचक अवसर ढूंढ रहे हैं। हमारे द्वारा निवेश किए जाने वाले प्रत्येक $3 में से लगभग 200 McKnight के मिशन के अनुरूप है।

हमारा दृष्टिकोण उत्तोलन के चार बिंदुओं के आसपास व्यवस्थित है:

मालिक का मालिक

हम सार्वजनिक और निजी बाजारों में लाखों डॉलर की संपत्ति का मालिक हैं।

हम वित्तीय उत्पादों और सेवाओं के एक उपभोक्ता हैं जो पर्यावरण, सामाजिक, और कॉर्पोरेट प्रशासन (ईएसजी) के मुद्दों पर एकीकृत सोच को बढ़ावा दे सकते हैं जो हमारे द्वारा किराए पर लिए गए संपत्ति प्रबंधकों के बीच हैं।

निगमों के शेयरधारक

हम निगमों के एक शेयरधारक हैं जो कंपनी को वोट देते हैं और ईएसजी प्रथाओं, रणनीति और जोखिम प्रबंधन के बारे में सवाल उठाते हैं।

हम एक संस्थागत निवेशक हैं जो दूसरों के साथ स्रोत सौदों के लिए काम करते हैं, बेहतर बाजार की स्थिति बनाते हैं, और हमारे विभागों से संबंधित सफलताओं और विफलताओं को साझा करते हैं।

एक केंद्रित रणनीति

हमारे प्रभाव निवेश को हमारे दो प्राथमिकता वाले अनुदान क्षेत्रों के लक्ष्यों के साथ निकटता से जोड़ना चाहिए: मिडवेस्ट क्लाइमेट एंड एनर्जी और भवन न्यायसंगत और समावेशी समुदाय मिनेसोटा में।

इस स्तर पर, हम केवल संयुक्त राज्य में निवेश कर रहे हैं।

राकेश झुनझुनवाला को लोग सुनते भी थे और मानते भी, उनकी ये खास यादें

राकेश झुनझुनवाला का निधन

अमित कुमार दुबे

  • नई दिल्ली,
  • 14 अगस्त 2022,
  • (अपडेटेड 14 अगस्त 2022, 5:48 PM IST)

बिजनेसमैन लोगों के कम 'आदर्श' होते हैं, लोगों की धारणा होती है कि उद्योगपति कर्तव्य से ज्यादा पैसों के पीछे भागते हैं. लेकिन इन सबसे से अलग थे राकेश झुनझुनवाला. जिन्हें लोग सुनते भी थे, मानते भी थे, फॉलो भी करते थे और दूसरों को राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) जैसा बनने का उदाहरण भी देते थे.

आखिर क्यों लोग दूसरों की सलाह से बाजार में करते हैं निवेश राकेश झुनझुनवाला को आदर्श मानते थे? राकेश झुनझुनवाला 62 की उम्र में भी एक भारत का चमकता सितारा था, पिछले कुछ वर्षों से सेहत ठीक नहीं थी, व्हीलचेयर के सहारे जिंदगी आगे बढ़ रही थी. लेकिन जोश में किसी युवा से कम नहीं थे. झुनझुनवाला 4 दशक से शेयर बाजार में पैसे लगा रहे थे. इन 40 वर्षों में उन्होंने बदलते भारत की तस्वीर को करीब से देखा, और साक्षी रहे. भारत के लिए राकेश झुनझुनवाला का निधन एक अपूरणीय क्षति है.

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कहा जाता है कि शेयर बाजार अनिश्चितताओं का अड्डा है. लेकिन राकेश झुनझुनवाला हमेशा भारतीय बाजार को लेकर पॉजीटिव रहे. इसके पीछे उनका अपना तर्क था, तर्क में न्यू इंडिया का सपना भी झलकता था. कई बार लोगों को लगता था कि ये 'राजनेता' की तरह बातें करते हैं. क्योंकि मजाकिया अंदाज और सटीक जवाब के लिए झुनझुनवाला जाने जाते थे. पिछले साल 'आजतक' एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था..'भारत का टाइम आ गया है. ' ये उनका अनुभव बोल रहा था.

भारतीय शेयर बाजार के सबसे बड़े निवेशक होने के बावजूद 'बिग बुल' हमेशा कहते थे, उनके लिए देश सबसे पहले है. उन्हें पता था कि देश के लोग उनसे क्या सुनना चाहते हैं? तभी उनके एक बयान से छोटे-बड़े निवेशकों में आत्मविश्वास जग उठता था. अक्सर उनसे पूछा जाता था कि आप विदेशी मार्केट में पैसे क्यों नहीं लगाते? उनका सीधा जवाब होता था. जब भारत में वो क्षमता है तो फिर दूसरे देश की तरह क्यों देखें. यही दूसरों की सलाह से बाजार में करते हैं निवेश नहीं, वे कहते थे कि उन्हें पूरी दुनिया में सबसे बेहतर भारतीय शेयर बाजार लगता है. इसलिए कभी दूसरे देशों के बाजारों में पैसे लगाने का ख्याल नहीं आया.

SCI, IFCI, IDBI और टाटा स्टील

मेरा आपको सुझाव है कि कुछ समय निकालें और कंपनी व बाजार के बारे में उपलब्ध कराई जा रही रिसर्च का दूसरों की सलाह से बाजार में करते हैं निवेश अध्ययन करें। जैसे, आज हम इस कॉलम के अंत में कावेरी टेलिकॉम की रिसर्च रिपोर्ट पेश कर रहे हैं। हम इस तरह की विशेष जानकारियां उपलब्ध कराते रहते हैं। इनके अध्ययन से भारत के साथ-साथ दुनिया के बाजारों के बर्ताव को लेकर आपके जो भ्रम हैं, उनमें से ज्यादातर दूर हो सकते हैं। अगर फिर भीऔर और भी

मैं लगातार इस बात पर कायम हूं कि भारत सचमुच विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के लिए जबरदस्त आकर्षण का स्रोत बना हुआ है। यूरोप के ऋण संकट ने विदेशी पूंजी के प्रवाह को भारत की तरफ मोड़ा है। यह बात पिछले कुछ दिनों में वित्त मंत्रालय के आला अधिकारी भी स्वीकार कर चुके हैं। जिस तरह कल भारतीय रिजर्व बैंक ने इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए विदेशी वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) की शर्तों में ढील दी और गवर्नर डी सुब्बारावऔर और भी

अब दम मारने का वक्त नहीं बचा

कल का दिन ऐसा था जब ट्रेडर बाजार बंद होने के आधा घंटा पहले तीन बजे तक शॉर्ट सेलिंग करते रहे। लेकिन आखिरी आधे घंटे में उन्हें शॉर्ट कवरिंग करनी पड़ी और एक तरह से निफ्टी को 5200 अंक के ऊपर पहुंचाने में उनका भी योगदान रहा। इसके बाद थोड़ा दम लेना जरूरी था, वह आ हो गया। लेकिन इसे असली कूल-ऑफ या दम लेना नहीं कह सकते क्योंकि नए शॉर्ट सौदे होते जा रहे हैं। ज्यादातरऔर और भी

अब मैं अपने मुंह से क्या कहूं? सारी दुनिया समझ गई है कि जब ग्रीस को ऋण संकट में मदद देनी की बात यूरोपीय संघ ने मंजूर कर ली थी, तब बाजार में इस तरह की गिरावट का कोई तुक नहीं था। मैंने आपको बता दिया था कि रविवार को ऐसा हो जाएगा। मैंने यह भी कहा था कि यूरोपीय संघ के पास इसके अलावा कोई चारा नहीं है। चाहे कुछ भी हो जाए, यूरो डूब नहींऔर और भी

शेरदिल ही लेंगे इस बाजार से लोहा

बाजार कभी नहीं मरता है। मरता है आपका वो विश्वास जो फंडामेंटल्स या मूलाधार के बेजान-बेमानी हो जाने से खंड-खंड बिखर चुका होता है। टेक्निकल एनॉलिस्ट अक्सर उसी वक्त बिक्री की कॉल देते हैं जब सब कुछ पहले से धराशाई हो चुका होता है और खरीदने को तब कहते हैं जब कल की बात कोई सोच ही नहीं रहा होता। ऐसे माहौल में डर हावी हो जाता है और निवेशक इस तरह लुटते हैं जैसे वे पैदाऔर और भी

“सिंगापुर निफ्टी सूचकांक (एसजीएक्स सीएनएक्स) 5105 पर। मंदड़िए अपने को साबित करने और दोहरी तलहटी बनाने के लिए निफ्टी को 5040 तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे। बाजार की हर डुबकी का इस्तेमाल निचले भावों पर खरीद में करें। मजबूत भरोसे के अभाव के चलते मेटल शेयरों पर चोट की जानी पक्की है।” यह वो संदेश है जो हमने गुरुवार को बाजार खुलने से पहले जारी किया था। वैसे, अगर यह इक्विटी बाजार है तो इसमें दो तरहऔर और भी

डिजिटल करेंसी में इन्वेस्ट करने की गाइड: क्रिप्टो करेंसी में निवेश की योजना बना रहे हैं, तो इसमें लॉन्ग टर्म के लिए निवेश से बचने सहित 7 बातों का ध्यान रखें

क्रिप्टो करेंसी दुनियाभर में चर्चा का विषय है। दुनिया के कई देशों में क्रिप्टो को अपनाया गया है। हालांकि भारत सहित ज्यादातर देशों में इसको लेकर कोई नियम-कानून नहीं हैं और न ही सरकार ने इसे मान्यता दी है। इसके बावजूद भारतीय नागरिक क्रिप्टो करेंसी में निवेश के मामले में टॉप पर हैं। अगर आप भी क्रिप्टो में निवेश करते हैं या करना चाहते हैं तो इन बातों का जरूर ध्यान में रखें..

बगैर रिसर्च और छानबीन के क्रिप्टो में निवेश न करें
क्रिप्टो यानी डिजिटल करेंसी को लेकर आप अपने स्तर पर पूरी रिसर्च और छानबीन करें। दूसरों की बातों में आकर निवेश न करें। जब तक आप खुद इस एसेट क्लास को अच्छी तरह नहीं समझते, इसमें निवेश करने की गलती न करें।

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