भगवान श्रीकृष्ण।

संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित | 155+ Sanskrit Shlok With Meaning in Hindi

Sanskrit Shlokas With Meaning in Hindi: हमारे देश में सभी भाषाओं का अपना अलग अलग महत्व माना जाता है। ऐसे में सभी भाषाओं में से एक भाषा संस्कृत (Sanskrit) भी शामिल है। जो कि काफी शुद्ध और पवित्र मानी जाती है। इसके साथ ही आपको यह भी बता दूं कि संस्कृत भाषा सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है। हमारे देश में संस्कृत भाषा को देवी देवताओं के भाषाओं से तुलना की जाती है। इससे आप अंदाजा लगा सकते है कि संस्कृत भाषा कितना पवित्र भाषा है।

आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि पहले के समय में लोग संस्कृत श्लोक (Sanskrit Shlok) के माध्यम से ही एक दूसरे से बात किया करते थे। संस्कृत की महानता हमें संस्कृत के श्लोक से पता चलता है। तो क्या आप भी एक भारतीय हिंदू धर्म से ताल्लुक रखने वालों में से एक है, यदि हां तो आपको भी संस्कृत श्लोक (Sanskrit Shlokas with Meaning in Hindi) का ज्ञान होना जरूरी होता है। जी हां एक हिंदी धर्म के व्यक्ति को संस्कृत श्लोक का थोड़ा भी ज्ञान न हो यह अच्छी बात नहीं होती है।

क्योंकि सरल शब्दों में समझा जाए तो एक मनुष्य जाति के लिए संस्कृत हर किसी के जीवन का एक अहम भाग माना जा सकता है। साथ ही आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि पुराने समय में कई ऋषि मुनियों ने बेहतरीन बेहतरीन श्लोक संस्कृत भाषा में लिखा है। तो क्या आपको संस्कृत भाषा में श्लोक का थोड़ा बहुत भी ज्ञान नहीं है, यदि नहीं है, तो कोई बात नहीं तो आपको हमारे लेख के अंत तक बने रहने की आवश्यकता होगी।

क्योंकि आज के लेख में मैं आप सभी को 155+ संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (Sanskrit Shlok With Meaning in Hindi) जानकारी साझा करने वाला हूं। आज के लेख में आपको बहुत सारी संस्कृत श्लोक का ज्ञान प्राप्त होने वाला है और वो भी अर्थ के साथ। इसलिए आप सभी से दरख्वास है कि आप हमारे लेख को आधा अधूरा ना पढ़ें। बल्कि आप हमारे पोस्ट के अंत तक ध्यान पूर्वक पढ़ें।

गीता के अनुसार हर इंसान में होते हैं ये 3 गुण, जानिए कौन-कौन से हैं ये और क्या है इसका अर्थ

तमोगुण में किए गए कर्म का फल अज्ञान कहा गया है और उसी प्रकार तमोगुण की वृद्धि होने पर मृत्यु को प्राप्त मनुष्य पशु-पक्षियों आदि नीच योनियों में नरक को प्राप्त करता है।

गीता के अनुसार हर इंसान में होते हैं ये 3 गुण, जानिए कौन-कौन से हैं ये और क्या है इसका अर्थ

भगवान श्रीकृष्ण।

गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि इस सृष्टि के रचना मूल रूप से तीन गुणों से हुई है। ये तीन गुण सत्व, राजस और तमस हैं। हालांकि आधुनिक विज्ञान आज भी इससे अनजान है। परंतु धार्मिक मान्यता है कि ये तीनों गुण सजीव, निर्जीव, स्थूल और सूक्ष्म वस्तुओं में रहते हैं। श्रीकृष्ण भगवान अर्जुन को यह बताते हैं कि “यह मूल प्रकृति ही संसार की समस्त वस्तुओं को उत्पन्न करने वाली है और “मैं ही ब्रह्म (आत्मा) रूप में चेतन रूपी बीज को स्थापित करता हूं।”

इस जड़-चेतन के संयोग से ही सभी चर-अचर प्राणियों की उत्पत्ति होती है। साथ ही समस्त योनियों में जो भी शरीरधारी प्राणी उत्पन्न होते हैं, उन सभी को धरण करने वाली आत्मा रूपी बीज को स्थापित करने वाला पिता हूं।” सात्विक, राजसिक और तामसिक यह तीनों गुण भौतिक प्रकृति से उत्पन्न होते हैं। प्रकृति से उत्पन्न तीनों गुणों के कारण ही अविनाशी आत्मा शरीर से बंध जाती है। पुरुष प्रकृति से उत्पन्न तीनों गुणों को भोगता है और इन गुणों का साथ ही इस जीवात्मा को अच्छी-बुरी योनियों में जन्म लेने का कारण बनता है।

इन तीनों गुणों में सत्व गुण अन्य गुणों की तुलना में अधिक शुद्ध होने के कारण पाप कर्मों से जीव को मुक्त करके आत्मा को प्रकाशित करने वाला होता है, जिससे मनुष्य सुख और ज्ञान के अहंकार में बंध जाता है। वहीं सात्विक गुण से वास्तविक ज्ञान उत्पन्न होता है। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि सात्विक गुण मनुष्य को सुख में बांधता है। फिर जब कोई मनुष्य सतोगुणी होने पर मृत्यु को प्राप्त होता है तब वह उत्तम कर्म करने वाला स्वर्ग लोक को जाता है। साथ ही रजोगुण को कामनाओं और आशक्ति से उत्पन्न हुआ जान, जिसके कारण जीवात्मा कर्मों के फल की आसक्ति में बंध जाता है।

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रजोगुण के बढ़ने पर लोभ उत्पन्न होने के कारण फल की इच्छा से कार्यों करने की प्रवृत्ति और मन की चंचलता के कारण विषय-भोगों को भोगने की इच्छा बढ़ने लगती है। रजोगुण से निश्चित ही लोभ उत्पन्न होता प्रवृत्तियों की पहचान करने का क्या अर्थ है है। साथ ही जब कोई मनुष्य रजोगुण की वृद्धि होने पर मृत्यु को प्राप्त करता है। तब वह रजोगुण के बीच स्थित पृथ्वीलोक में ही रह जाता है। रजोगुण में किए गए कार्य का परिणाम दुख होता है।

इसके अलावा तामसिक गुण को शरीर के प्रति मोह के कारण अज्ञान से उत्पन्न हुआ समझना चाहिए। इस गुण प्रवृत्तियों की पहचान करने का क्या अर्थ है के कारण व्यक्ति आलस्य, प्रमाद और निद्रा द्वारा बंध जाता है। तमोगुण मनुष्य के ज्ञान को ढँककर प्रमाद में बांधता है। जब मनुष्य के अंदर तमोगुण की वृद्धि होती है तब अज्ञान रूपी अंधकार कर्तव्य को न करने की प्रवृति, पागलपन की अवस्था और आलस्य के कारण न करने योग्य कार्य को करने की प्रवृति बढ़ने लगती है। तमोगुण में किए गए कर्म का फल अज्ञान कहा गया है और उसी प्रकार तमोगुण की वृद्धि होने पर मृत्यु को प्राप्त मनुष्य पशु-पक्षियों आदि नीच योनियों में नरक को प्राप्त करता है।

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में बहर-उल-काहिल के अर्थ देखिए

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English meaning of बहर-उल-काहिल , बहर-उल-काहिल meaning in english, बहर-उल-काहिल translation and definition in English. बहर-उल-काहिल का मतलब (मीनिंग) अंग्रेजी (इंग्लिश) में जाने | Khair meaning in hindi

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भारत में महिला आंदोलन

Hello दोस्तों ज्ञानउदय में आपका एक बार फिर स्वागत है और आज हम बात करते हैं, राजनीति विज्ञान में महिला आंदोलन के बारे में । इस Topic के जरिए हम जानेंगे कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में महिलाओं से संबंधित विभिन्न आंदोलन कहां तक अपने लक्ष्य की प्राप्ति में सफल रहे ।

परिचय

ऋग्वेद कालीन भारत में स्त्री का स्थान काफी सम्मानजनक था और स्त्री शिक्षा से वंचित नहीं थी प्रवृत्तियों की पहचान करने का क्या अर्थ है और पर्दे का कोई विवाद नहीं था और स्त्री को अपना वर्क चने का अधिकार था । परंतु उत्तर वैदिक काल में महिलाओं की स्थिति धीरे-धीरे गिरती गई । इसके बाद आया मध्य काल और मध्य काल में भारत पर इस्लामी आक्रमण हुआ और भारत पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ा । हिंदुओं में बाल विवाह और प्रदा प्रथा शुरू हो गई । नारियों का अपमान किया जाने लगा । नारी की रक्षा के लिए पर्दे को जरूरी माना गया और तभी से पर्दा प्रवृत्तियों की पहचान करने का क्या अर्थ है प्रथा का आरंभ हुआ और कुछ राजपूत घरानों में कन्याओं की हत्या भी की जाने लगी । इसके बाद सती प्रथा शुरू हो गई ।

इसके बाद इन सब बातों से तंग आकर कुछ विचारकों ने अपनी आवाज़ उठाई और अंत में इन कुरीतियों को समाप्त करने के लिए बहुत सारे महिला आंदोलन चलाए गए जिसकी निम्नलिखित रूप से देखा जा सकता है ।

समाज में धर्म सुधार आंदोलन

19वीं शताब्दी में 3 बड़े आंदोलन चलाए गए । जिन्होंने समाज को प्रभावित किया । एक तो ब्राह्मण समाज था और दूसरा थियोसोफिकल सोसाइटी । जिनमें स्त्रियों की दशा में सुधार के लिए अनेक प्रयास किए गए और इसके फल स्वरुप 1829 में सती प्रथा के विरुद्ध कानून बनाया गया और इसमें महिलाओं की स्थिति में सुधार आ गया । स्वतंत्रता आंदोलन में भी महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । जैसे असहयोग आंदोलन में महिलाओं ने सक्रिय भूमिका निभाई । इसी प्रकार दुर्गा धामी, सुशीला देवी आदि ने क्रांतिकारियों का भरपूर सहयोग दिया ।

समकालीन भारत में महिला आंदोलन

समकालीन भारत में महिला आंदोलन सबसे तेजी से बढ़ता हुआ सामाजिक आंदोलन है । इसके साथ साथ वैश्वीकरण के कारण नारी शक्ति और महिला सशक्तिकरण की विचारधारा को बढ़ावा मिलता है । समकालीन महिला आंदोलन की विशेषताएं इस तरह हैं ।

i) परिवार में महिला की स्थिति को मजबूत करने पर बल दिया जा रहा है और महिलाओं के लिए सुविधाओं को बढ़ाने प्रवृत्तियों की पहचान करने का क्या अर्थ है का प्रयास किया जा रहा है ।

ii) महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए महिला आरक्षण की मांग तेजी से बढ़ रही है । महिलाऐं आरक्षण का समर्थन प्रवृत्तियों की पहचान करने का क्या अर्थ है करती हैं । लेकिन लंबे समय से यह कानून पास नहीं हो पाया है ।

iii) महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि बहुत जरूरी है और भागीदारी में बढ़ोतरी के लिए इस आंदोलन इसका प्रमुख उद्देश्य है ।

प्रमुख महिला आंदोलन

आइये अब बात करते हैं, उन आंदोलनों की जिनमें महिलाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है, और जिनके कारण महिलाओं को एक नई पहचान मिली और उनकी शक्ति को पहचाना गया ।

1 चिपको आंदोलन : 1970 के दशक में पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए उसके विरुद्ध चलाए गए चिपको आंदोलन में महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।

2 ताड़ी विरोध : दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश की महिलाओं ने ताड़ी विरोधी आंदोलन चलाया और यह आंदोलन 1980 और 1990 के दशक तक चलता रहा, हालांकि सरकार द्वारा यह आंदोलन सफल नहीं हो सका फिर भी इससे महिलाओं को नई पहचान मिली ।

3 नक्सलवादी आंदोलन : पश्चिम बंगाल में भूमिहीन किसानों ने नक्सलवादी आंदोलन का आरंभ किया और इस आंदोलन में वहाँ की महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वर्तमान में देश के लगभग 78 जिले नक्सलवादी आंदोलन से प्रभावित हैं ।

4 दहेज निरोधक : 1980 के दशक में हिंसा दहेज और यौन उत्पीड़न के विरोध में कई महिला संगठनों ने जोरदार आवाज उठाई और 1986 में IPC की धारा द्वारा दहेज विरोधी अधिनियम 498-A पास किया गया और जिसमें दहेज के लिए महिलाओं का शोषण करने के लिए कार्यवाही की जाएगी और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार 2006 देश में प्रत्यय 29 मिनट एक रेप और 77 मिनिट में दहेज से संबंधित हत्या होती थी ।

5 घरेलू हिंसा अधिनियम 2007 के अनुसार महिला के साथ घर में की गई हिंसा और मानसिक उत्पीड़न (Mentally Torture) और उत्पीड़न और शारीरिक उत्पीड़न नहीं किया जा सकता ।

महिला आंदोलन की कमजोरियों और सुधार के सुझाव

1 महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बहुत जरूरी है । अतः शिक्षा और महिलाओं के लिए आरक्षण बहुत जरूरी है ।

2 भारत में महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए धार्मिक कारकों जैसे परंपराओं, रूढ़िवादी, पुराने रीतिरिवाजों, ढर्रों आदि में आवश्यक सुधार जरूरी है ।

3 भारत में महिलाओं से संबंधित कानूनों को अधिकतर बड़े पैमाने पर प्रचार करना बहुत जरूरी है ।

तो दोस्तों ये था महिला आंदोलनों और सशक्तिकरण के बारे में अगर Post अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ ज़रूर Share करें । तब तक के लिए धन्यवाद !!

Millionaire: हथेली पर यदि इस जगह है 'तिल', धनवान बनने से कोई नहीं रोक सकता है, फौरन चेक करें

Millionaire:धनवान बनने की चाहत सभी के मन में होती हैं. हस्तरेखा विज्ञान में कुछ ऐसी बातें बताई गई हैं जो व्यक्ति के धनी होने का संकेत देती हैं.

By: ABP Live | Updated at : 23 प्रवृत्तियों की पहचान करने का क्या अर्थ है Dec 2022 11:16 AM (IST)

Millionaire: प्राकृतिक रूप से हमारे शरीर में जन्म से ही कुछ निशान होते हैं. जैसे मस्से, तिल या कोई बर्थमार्क. लेकिन प्रवृत्तियों की पहचान करने का क्या अर्थ है शास्त्रों के अनुसार इन सब निशानों का कुछ न कुछ अर्थ जरूर होता है.बर्थमार्क से लेकर शरीर के प्रत्येक अंग के तिल का अपना एक महत्व है. इन तिलों का हमारे भाग्य से कुछ कनेक्शन बताया गया है. तो आइए जानते हैं कि आपके हाथ का तिल में कौन सा राज छुपा हुआ है.

हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार, दाहिना हाथ पुरुष को दर्शाता है और बायां हाथ स्त्री को. अगर स्त्री के हाथों को देखा जा रहा है तो उसकी तिलों का राज उसका बायां हाथ बताएगा और यदि उसके जीवनसाथी के बारे में जानना हो तो उसके लिए दाहिना हाथ देखना चाहिए. इसी प्रकार पुरुष के जीवनसाथी के लिए बांया हाथ देखना उत्तम होता है.तिल हाथ के किस स्थान पर है, किस रेखा के ऊपर बना है, कितना गहरा है या हल्का है, इसके आधार पर तिल से जुड़े रहस्य हैं.

सूर्य पर्वत पर तिल
हथेली में सूर्य पर्वत, अनामिका उंगली के नीचे के स्थान को कहते हैं पर यहां तिल होने का मतलब सूर्य से संबंधित क्षेत्रों से हैं. यहां पर तिल सामाजिक मामलों, सरकारी मामलों एवं नौकरी में आपको कष्ट दे सकता है. समाज में आपकी छवि खराब होने का खतरा बना रहता है.

चंद्र पर्वत पर तिल
जिन लोगों की हथेली में चंद्र पर्वत पर तिल का निशान मौजूद होता है, उनका मन अशांत रहता है और कभी भी स्थिर नहीं रहता है, ऐसे लोग किसी भी काम को कंसंट्रेशन से करने में असमर्थ होते है. चंद्र पर्वत वहां पर बना होता है जहां से हथेली शुरू होती है. ऐसे व्यक्तियों का विवाह विलंब से होता है और उन्हें उन लोगों से धोखा मिलता है. जिस पर वे बहुत विश्वास करते हैं.

बुध पर्वत पर तिल
बुध पर्वत हथेली में सबसे छोटी उंगली के नीचे का स्थान होता है. जिनकी छोटी उंगली या उसके आस-पास पर तिल का निशान होता है. वह धन संपत्ति के मामले में भाग्यशाली होते हैं लेकिन ऐसे व्यक्तियों को जीवन भर नुकसान झेलना पड़ता है.

शनि पर्वत पर तिल
मध्यमा उंगली पर तिल का होना शुभ माना गया है, यह सुख संपत्ति देने वाला है लेकिन यदि मध्यमा उंगली के नीचे शनि पर्वत पर तिल हो तब यह अच्छा नहीं होता है, ऐसे व्यक्तियों को सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है.

शुक्र पर्वत पर तिल
अंगूठे के नीचे शुक्र पर्वत पर तिल होने पर व्यक्ति कामुक और काफी खर्चीली प्रवृत्ति का होता हैं लेकिन मां लक्ष्मी की कृपा इन पर हमेशा बरसती रहती है. इसके विपरीत जिन व्यक्तियों की हथेली में अंगूठे पर तिल का निशान होता है वह व्यावहारिक, कर्मठ और न्याय का साथ देने वाले होते हैं.

गुरु पर्वत पर तिल
गुरु पर्वत के ऊपर तिल भाग्यशाली होने की पहचान है लेकिन ऐसे व्यक्तियों के विवाह में अड़चने बहुत आती हैं। गुरु पर्वत अंगूठे के बाद वाली अंगुली के नीचे का हिस्सा होता है।

जीवन रेखा पर तिल
जीवन रेखा यानी लाइफ लाइन में अगर तिल है तो ऐसा तिल अशुभ माना जाता है. ऐसे व्यक्तियों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जीवन पर्यंत बनी रहती हैं.

Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Published at : 23 Dec 2022 11:14 AM (IST) Tags: millionaire palmistry palm mole हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Astro News in Hindi

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