आज के समय में अगर आप निवेश के ज़रिए अच्छा रिटर्न चाहते हैं तो एक बेहतर पोर्टफोलियो का होना काफी अहम है.

'Mutual fund'

अमूमन म्यूचुअल फंड को एक्सपर्ट ही मैनेज करते हैं. इन लोगों को फंड मैनेजर कहा जाता है. यह फंड मैनेजर यह देखते हैं कि कहां निवेश करने से निवेशकों को ज्यादा लाभ होगा यानि ज्यादा रिटर्न मिलेगा. म्यूचुअल फंड उन निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प माना जाता है जो निवेश का जोखिम खुद उठाने में सक्षम नहीं होते. ये लोग बाजार के बारे में और कंपनियों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होने के चलते ऐसे फंड मैनेजरों की राय पर काम कर सकते हैं.

Top 10 Mutual Funds To Invest: आप निवेश के लिए सही फंड को चुने. आप किसी ऐसे फंड का चुनाव करें जो बढ़ती महंगाई के दौर में आपको शानदार रिटर्न दे.

सेबी का ताजा फैसला फ्रैंकलिन टेम्पलटन मामले के बाद आया है, जिसमें फंड हाउस के कुछ अधिकारियों पर यह आरोप है कि उन्होंने छह ऋण योजनाओं पर रोक लगाए जाने से पहले उन योजनाओं में अपनी हिस्सेदारी को रिडीम किया था.

Delhi | Reported by: प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया, Translated by: अंजलि कर्मकार |गुरुवार अक्टूबर 20, 2022 04:45 PM IST

बीएल आहूजा ने पुलिस को बताया कि वह बैंक कर्मचारी माहेश्वरी को 2013 से जानते थे, जब वह ICICI बैंक में काम करता था. आहूजा ने कहा कि माहेश्वरी ने उन्हें सलाह दी कि वह पैसे बैंक में रखने के बजाय म्यूचुअल फंड में लगाएं. आहूजा ने 2018 में उन्हें 1 करोड़ रुपये के दो चेक दिए.

निवेशक दीर्घकाल में निवेश में वृद्धि को लेकर म्यूचुअल फंड में नियमित तौर पर राशि जमा करने की योजना (Systematic Investment Plan) पर भरोसा कर रहे हैं

Pan Aadhaar Link.सीबीडीटी ने एक अधिसूचना में कहा कि आधार की देरी से सूचना देने पर 500 रुपये का विलंब शुल्क लगेगा. यह जुर्माना शुल्क अगले तीन माह यानी 30 जून, 2022 तक के लिए होगा. उसके बाद करदाताओं को 1,000 रुपये का जुर्माना चुकाना होगा.

सेबी ने म्यूचुअल फंड निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए यह निर्णय़ किया.इसके तहत जब भी म्यूचुअल फंड के ज्यादातर ट्रस्टी किसी स्कीम को बंद करने का फैसला करते हैं, उनके लिए यूनिटधारकों की सहमति लेने को अनिवार्य करने का निर्णय किया गया है.

भारतीय कंपनियों ने वर्ष 2021 में इक्विटी और कर्ज के जरिये 9 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं. अगर ओमिक्रॉन के चलते हालात खराब नहीं जानिए क्या निवेश नहीं करना चाहिए हुए तो इसमें 2022 के दौरान और अधिक मजबूती आने की उम्मीद है

इक्विटी म्यूचुअल फंड (Equity Mutual Funds) योजनाओं को जुलाई में शुद्ध रूप से 22,583 करोड़ रुपये का निवेश मिला है. यह लगातार पांचवां महीना है जबकि इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश प्रवाह सकारात्मक रहा है. इस दौरान फ्लेक्सी-कैप श्रेणी (Flexicap Funds) को सबसे अधिक निवेश प्राप्त हुआ.

सेबी ने म्यूचुअल फंड नियमों में संशोधनों को मंजूरी दे दी. इन नियमों के तहत म्यूचुअल फंड कंपनियों को अपने नई जानिए क्या निवेश नहीं करना चाहिए फंड पेशकशों में जोखिम के स्तर के अनुसार अधिक निवेश करने की जरूरत होगी. इससे कोष चलाने वालों की म्यूचुफंड में खुद की भागीदारी सुनिश्चित होगी.

Should you invest in LIC IPO: क्या फायदे की गारंटी है LIC का IPO? आपको आंख मूंदकर निवेश कर देना चाहिए?

Should you invest in LIC IPO: एलआईसी के आईपीओ (LIC IPO) का साइज 52 हजार करोड़ रुपये से लेकर 90 हजार करोड़ रुपये के बीच (LIC IPO Size) हो सकता है। ये अब तक के सबसे बड़े पेटीएम के 18000 करोड़ रुपये के आईपीओ (Paytm IPO) से भी बड़ा होगा। एलआईसी का आईपीओ बहुत बड़ा हो सकता है, लेकिन सिर्फ इसका साइज देखकर ही इसमें पैसे ना लगाएं। आइए जानते हैं एलआईसी के आईपीओ को लेकर विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं।

the long-awaited ipo could end up making lic the country’s third most valuable company, know you should invest in this or not

Should you invest in LIC IPO: क्या फायदे की गारंटी है LIC का IPO? आपको आंख मूंदकर निवेश कर देना चाहिए?

सिर्फ सबसे बड़ा आईपीओ देखकर ही पैसे ना लगाएं

एलआईसी का आईपीओ बहुत बड़ा हो सकता है, लेकिन सिर्फ इसका साइज देखकर ही इसमें पैसे ना लगाएं। एलआईसी के साथ सबसे बड़ी परेशानी ये है कि इसमें सरकार का हस्तक्षेप बहुत अधिक है। अक्सर सरकार पब्लिक सेक्टर बैंकों को रीकैपिटलाइज करने के लिए इसके पैसों का इस्तेमाल करती है। इसके पैसों का इस्तेमाल तमाम पीएसयू के के आईपीओ में पैसे लगाने के लिए भी होता है, जिससे सरकार विनिवेश के लक्ष्य पूरे कर सके।

सरकार के फैसलों से कंपनी को होता है नुकसान

अभी भी एलआईसी स्टैंडबाई पर है और आईडीबीआई बैंक में पैसे लगाने के इंतजार में है। सरकार के ऐसे फैसलों से एलआईसी को काफी नुकसान होता है। एलआईसी के डीआरएचपी में भी कहा गया है कि यह कंपनी सरकार के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए कोई कदम उठा सकती है। हालांकि, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि इन कदमों से कंपनी को फायदा होगा भी या नहीं। ऐसे में एलआईसी के शेयरहोल्डर्स को सरकार के किसी फैसले से नुकसान हो सकता है। यह एलआईसी के एनपीए में भी देखने को मिलता है, जो 7.78 फीसदी है। यह आंकड़ा सभी लिस्टेड इंश्योरेंस कंपनियों में सबसे अधिक होगा। एसबीआई लाइफ का एनपीए 0.05 फीसदी, एचडीएफसी लाइफ का एनपीए 0.07 फीसदी, मैक्स लाइफ का 0.2 फीसदी और बजाज अलाएंज लाइफ का एनपीए 0.9 फीसदी है। वहीं आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ का एनपीए है।

निजी क्षेत्र की कंपनियां दे रहीं तगड़ी टक्कर

भले ही अभी एलआईसी 60 फीसदी मार्केट शेयर के साथ डोमिनेट कर रहा है, लेकिन पिछले कुछ सालों में निजी क्षेत्र की कंपनियों ने इसे तगड़ी टक्कर दी है। बात अगर इंडिविजुअल न्यू बिजनस प्रीमियम की करें तो 2015 में यह 56 फीसदी था, जो अब गिरकर 44 फीसदी के करीब जा पहुंचा है। निजी कंपनियों अच्छे ऑफर, शानदार सर्विस दे रही हैं, जिससे उनकी ओर ग्राहक खिंचते जा रहे हैं।

जितना दिख रहा है, रिटर्न उतना अच्छा नहीं

कंपनी के डीआरएचपी में दिखाया गया है कि पिछले 3 सालों में कंपनी का औसत रिटर्न ऑन इक्विटी 289 फीसदी है। इसे देखकर अधिक खुश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि कंपनी का इक्विटी शेयर कैपटल ही बहुत कम (लगभग 100 करोड़ रुपये) है, जिसकी वजह से रिटर्न ऑन इक्विटी अधिक दिखता है। दरअसल, सरकारी कंपनी होने के चलते एलआईसी अपना पूरा मुनाफा शेयर होल्डर्स में डिविडेंड की तरह बांट देती है और शेयर होल्डर सरकार ही है तो सारा पैसा सरकारी खजाने में चला जाता है। 2018-19 में कंपनी का रिटर्न ऑन इक्विटी लगभग 405 फीसदी था, जो इक्विटी कैपिटल बढ़ाने के बाद 2020-21 में 82 फीसदी रह गया।

एजेंट्स पर बहुत अधिक निर्भर है एलआईसी

एलआईसी में एक बड़ी दिक्कत ये है कि इसकी निर्भरता एजेंट्स पर अधिक है। कंपनी के पास 13.5 लाख एजेंट की एक तगड़ी फोर्स है और यही इसकी ताक भी हैं। इन्हीं की वजह से कंपनी को 94 फीसदी तक का बिजनस मिलता है। एजेंट्स पर निर्भरता की वह से ही लॉकडाउन में कंपनी का बिजनस बहुत अधिक प्रभावित हुआ, क्योंकि एजेंट अपनी सेवाएं नहीं दे पाए। वहीं दूसरी ओर निजी इंश्योरेंस कंपनियां ऑनलाइन और बैंकिंग चैनल पर अधिक भरोसा करते हैं।

तो एलआईसी में निवेश करें या नहीं?

विशेषज्ञों जानिए क्या निवेश नहीं करना चाहिए की मानें तो एलआईसी के आईपीओ से बचकर रहने की जरूरत है। सलाह दी जा रही है कि अगर डिस्काउंट पर भी शेयर ऑफर होते हैं तो भी इसमें निवेश करते वक्त बहुत अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। सलाह ये दी जा रही है कि अभी सरकार एलआईसी का 5 फीसदी बेच रही है और बाद में इसमें और हिस्सेदारी बेचे जाने की उम्मीद है। एंजेल वन की इक्विटी स्ट्रेटेजिस्ट ज्योति रॉय (डीवीपी) कहती हैं कि अगर आप इस शेयर में निवेश करने की सोच रहे हैं तो आपको लंबे वक्त का सोचकर चलना होगा, तभी मुनाफा मिल सकता है।

Stock Market: मार्केट में उतार-चढ़ाव के बीच क्या हो निवेश का सही तरीका? जानिए किन बातों का ध्यान रखना है जरूरी

डाइवर्सिफिकेशन का फायदा यह है कि यह मोटे तौर पर आपके इनवेस्टमेंट में रिस्क को जानिए क्या निवेश नहीं करना चाहिए कम करता है. इसके अलावा, यह लंबी अवधि में आपके रिटर्न को भी बढ़ाता है.

Stock Market: मार्केट में उतार-चढ़ाव के बीच क्या हो निवेश का सही तरीका? जानिए किन बातों का ध्यान रखना है जरूरी

आज के समय में अगर आप निवेश के ज़रिए अच्छा रिटर्न चाहते हैं तो एक बेहतर पोर्टफोलियो का होना काफी अहम है.

Stock Market: आमतौर पर इस बारे में चर्चा होती रहती है कि निवेशकों को पोर्टफोलियो से जुड़े फैसले लेते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. लेकिन निवेशकों के लिए यह समझना भी उतना ही जरूरी है कि उन्हें क्या नहीं करना चाहिए. यह समझना एक निवेशक के तौर पर आपके इन्वेस्टमेंट जर्नी के लिए बेहद अहम है. आज के समय में अगर आप निवेश के ज़रिए अच्छा रिटर्न चाहते हैं तो एक बेहतर पोर्टफोलियो का होना काफी अहम है. कई निवेशक शेयर या म्यूचुअल फंड्स में ही अपना सारा पैसा लगा देते हैं. डाइवर्सिफिकेशन का जानिए क्या निवेश नहीं करना चाहिए फायदा यह है कि यह मोटे तौर पर आपके इनवेस्टमेंट में रिस्क को कम करता है. इसके अलावा, यह लंबी अवधि में आपके रिटर्न को भी बढ़ाता है.

हर एसेट क्लास की खासियत अलग-अलग होती है. इसलिए इनमें रिटर्न का पैटर्न भी अलग होता है. एक निवेशक को अपने पोर्टफोलियो में इक्विटी, फिक्स्ड इनकम, रियल एस्टेट, गोल्ड और दूसरी कमोडिटीज का सही संतुलन बनाना चाहिए.

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भविष्य को लेकर अनुमान लगाने से बचें

निवेशक अक्सर बाजार के उतार-चढ़ाव को लेकर अनुमान लगाते रहते हैं. निवेशकों को ऐसा करने से बचना चाहिए. अभी भी लॉन्ग टर्म में बाजार ऊपर की ओर जाएंगे क्योंकि बिजनेस समय के साथ बेहतर प्रदर्शन करते हैं. अक्सर निवेशक बाजार की गिरावट को देखकर घबरा जाते हैं और अपने शेयर बेचने लगते है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि करेक्शन के समय हमें घबराने के बजाए इसे इन्वेस्टमेंट के मौके के तौर पर देखना चाहिए.

सोशल मीडिया पर सलाह लेने से बचें

सोशल मीडिया या ट्विटर या किसी प्लेटफॉर्म पर तैरने वाली किसी भी राय या सलाह को न मानें. इस तरह की सलाह को मानकर आप किसी मुश्किल में फंस सकते हैं. इसलिए हमेशा यह सलाह दी जाती है कि निवेश से जुड़े किसी भी तरह के फैसले लेने से पहले अपने निवेश सलाहकार से चर्चा कर लें.

अटकलें न लगाएं और निवेश करें

अपने पोर्टफोलियो से जुड़े फैसले लेते समय अटकलें लगाने से बचें और निवेश करें. आप किसी स्टॉक को जितना समय देंगे उसके अच्छे प्रदर्शन की संभावना भी उतनी ही बढ़ जाती है. इसलिए निवेश के दौरान धैर्य बनाए रखना भी बेहद जरूरी है.

पोर्टफोलियो की समीक्षा है जरूरी

फाइनेंशियल प्लानर्स और फंड मैनेजरों का मानना है कि आपको अपने पोर्टफोलियो की जानिए क्या निवेश नहीं करना चाहिए नियमित तौर पर समीक्षा करते रहना चाहिए. यह इसलिए जरूरी है कि हो सकता है कि पहले आपने जिस एसेट क्लास में बेहतर रिटर्न की उम्मीद की थी, समय के साथ रिटर्न के मामले में उसकी अहमियत कम हो जाए. अगर ऐसे एसेट क्लास को लेकर तुरंत रणनीति में बदलाव न किया जाए तो आपको बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. जैसे-जैसे बाजार बदलता है, आपको अपने पोर्टफोलियो में भी बदलाव करना चाहिए. निवेशकों को यह समझने की जरूरत है कि पोर्टफोलियो को संतुलित करना एक बार का काम नहीं है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमने जिन एसेट्स में निवेश किया है, वह आगे भी बेहतर रिटर्न देंगे, नियमित तौर पर समीक्षा जरूरी है.

अपने गोल्स और रिस्क लेने की क्षमता को समझें

निवेश को लेकर आपके गोल्स और रिस्क लेने की क्षमता काफी हद तक इस बात पर निर्भर है कि आपकी उम्र, इनकम, टेन्योर और निवेश का कारण क्या है. ऐसे निवेशक जो अभी युवा हैं और जिनका परिवार उन पर निर्भर नहीं है वे अपने निवेश का एक बड़ा हिस्सा इक्विटी में निवेश कर सकते हैं. जीवन में समय के साथ हमारी जरूरतें और गोल्स भी बदलते रहते हैं. ऐसे में आप बाद में हायब्रिड फंड में स्विच कर सकते हैं. इसके ज़रिए न केवल आपका रिटर्न सुनिश्चित होता है बल्कि जोखिम को भी सावधानी से कम किया जाता है. जिन निवेशकों को न्यूनतम जोखिम के साथ आय का एक स्थिर स्रोत चाहिए, वे शॉर्ट टर्म फंड और लिक्विड फंड में निवेश कर सकते हैं.

शेयर बाजार में अभी एकमुश्त निवेश करें या SIP पर करें फोकस, जानिए एक्सपर्ट्स की राय

इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट्स के मुताबिक, म्यूचुअल फंड में एकमुश्त निवेश अच्छा नहीं माना जाता है. एक्सपर्ट्स हमेशा SIP के जरिए निवेश की सलाह देते हैं.

अभी शेयर बाजार का सेंटिमेंट कमजोर है ऐसे में म्यूचुअल फंड में निवेश करने का यह सही मौका है. रूस-यूक्रेन क्राइसिस और बढ़ती महंगाई के कारण शेयर बाजार के सेंटिमेंट पर असर हुआ है. ऐसे में शेयर बाजार के निवेशकों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि उन्हें एकमुश्त निवेश करना चाहिए या फिर SIP की मदद से इक्विटी फंड में निवेश करना चाहिए.

अभी शेयर बाजार का सेंटिमेंट कमजोर है ऐसे में म्यूचुअल फंड में निवेश करने का यह सही मौका है. रूस-यूक्रेन क्राइसिस और बढ़ती महंगाई के कारण शेयर बाजार के सेंटिमेंट पर असर हुआ है. ऐसे में शेयर बाजार के निवेशकों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि उन्हें एकमुश्त निवेश करना चाहिए या फिर SIP की मदद से इक्विटी फंड में निवेश करना चाहिए.

इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट्स के मुताबिक, म्यूचुअल फंड में एकमुश्त निवेश अच्छा नहीं माना जाता है. अगर बाजार का सेंटिमेंट कमजोर है तो निवेशकों को स्मार्ट तरीके से इसका फायदा उठाना चाहिए. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर बाजार के सेंटिमेंट कमजोर है तो स्मार्ट निवेशक लॉन्ग टर्म में धीरे-धीरे सरप्लस फंड को म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं. इसके अलावा निवेशकों से पोर्टफोलियो भी डायवर्सिफाई रखने की अपील की जाती है. लॉन्ग टर्म के निवेशकों को इक्विटी और डेट दोनों तरह के म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए.

इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट्स के मुताबिक, म्यूचुअल फंड में एकमुश्त निवेश अच्छा नहीं माना जाता है. अगर बाजार का सेंटिमेंट कमजोर है तो निवेशकों को स्मार्ट तरीके से इसका फायदा उठाना चाहिए. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर बाजार के सेंटिमेंट कमजोर है तो स्मार्ट निवेशक लॉन्ग टर्म में धीरे-धीरे सरप्लस फंड को म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं. इसके अलावा निवेशकों से पोर्टफोलियो भी डायवर्सिफाई रखने की अपील की जाती है. लॉन्ग टर्म के निवेशकों को इक्विटी और डेट दोनों तरह के म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए.

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के प्रोडक्ट हेड चिंतन हरिया का कहना है कि अभी बाजार का सेंटिमेंट कमजोर है. ऐसे में अलग 12-18 महीने के भीतर निवेशकों को लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करना चाहिए. यह निवेश का शानदार मौका है. लॉन्ग टर्म में इंडियन इकोनॉमी और इंडियन स्टॉक मार्केट का प्रदर्शन मजबूत रहने की पूरी उम्मीद है.

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के प्रोडक्ट हेड चिंतन हरिया का कहना है कि अभी बाजार का सेंटिमेंट कमजोर है. ऐसे में अलग 12-18 महीने के भीतर निवेशकों को लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करना चाहिए. यह निवेश का शानदार मौका है. लॉन्ग टर्म में इंडियन इकोनॉमी और इंडियन स्टॉक मार्केट का प्रदर्शन मजबूत रहने की पूरी उम्मीद है.

कम से कम 5000 रुपए निवेश किया जा सकता है.

सेबी रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट जीतेंद्र सोलंकी ने कहा कि अगर आपके पास सरप्लस फंड है तो यह एकमुश्त निवेश का शानदार मौका है. उनका कहना है कि जब आपका फेवरेट प्रोडक्ट डिस्काउंट पर मिल रहा हो तो उसे खरीदने में देरी नहीं करना चाहिए. उन्होंने अगले 6-12 महीने के भीतर अलग-अलग चंक में निवेश की सलाह दी है. ऐसा करने से रूस-यूक्रेन क्राइसिस को पोर्टफोलियो आसानी से मैनेज कर लेगा और बेहतर रिटर्न देगा.

ट्रांसेंड कैपिटल के डायरेक्टर कार्तिक झावेड़ी ने कहा कि जब कभी बाजार में जियो पॉलिटिकल सिचुएशन के कारण बिकवाली दिखती है तो यह अगले 2-3 महीने में रिकवरी हो जाती है. हालांकि, इसे थम्ब रूल नहीं माना जा सकता है. अगर कोई निवेशक रिस्क उठाने के लिए तैयार है तो सरप्लस का 25 फीसदी अभी निवेश कर दे. बाकी के निवेश के लिए वह अभी 3-4 सप्ताह का इंतजार करे. अगर और ज्यादा गिरावट आती है तो फिर 25 फीसदी निवेश करे. अगर वर्तमान स्तर के मुकाबले 5 फीसदी का सुधार आता है तो भी उसे 25 फीसदी का निवेश करना चाहिए. बाकी का 25 फीसदी निवेश करने के लिए उसे इंतजार करना चाहिए.

ट्रांसेंड कैपिटल के डायरेक्टर कार्तिक झावेड़ी ने कहा कि जब कभी बाजार में जियो पॉलिटिकल सिचुएशन के कारण बिकवाली दिखती है तो यह अगले 2-3 महीने में रिकवरी हो जाती है. हालांकि, इसे थम्ब रूल नहीं माना जा सकता है. अगर कोई निवेशक रिस्क उठाने के लिए तैयार है तो सरप्लस का 25 फीसदी अभी निवेश कर दे. बाकी के निवेश के लिए वह अभी 3-4 सप्ताह का इंतजार करे. अगर और ज्यादा गिरावट आती है तो फिर 25 फीसदी निवेश करे. अगर वर्तमान स्तर के मुकाबले 5 फीसदी का सुधार आता है तो भी उसे 25 फीसदी का निवेश करना चाहिए. बाकी का 25 फीसदी निवेश करने के लिए उसे इंतजार करना चाहिए.

कुल मिलाकर ज्यादातर एक्सपर्ट्स इस बात पर सहमत हुए हैं कि म्यूचुअल फंड में SIP करना निवेश का सबसे स्मार्ट तरीका है. उन्हें बाजार के वोलाटिलिटी पर बहुत ज्यादा फोकस नहीं करना चाहिए. उन्हें अनुशासन के साथ SIP में निवेश करना चाहिए.

कुल मिलाकर ज्यादातर एक्सपर्ट्स इस बात पर सहमत हुए हैं कि म्यूचुअल फंड में SIP करना निवेश का सबसे स्मार्ट तरीका है. उन्हें बाजार के वोलाटिलिटी पर बहुत ज्यादा फोकस नहीं करना चाहिए. उन्हें अनुशासन के साथ SIP में निवेश करना चाहिए.

Stock Market Investment Tips: शेयर बाजार में निवेश करते समय भूलकर भी न करें ये गलतियां, वरना डूब जाएगा पूरा पैसा

निवेश

कोरोना महामारी के बाद से भारत में बड़े पैमाने पर लोग अपने पैसों को शेयर मार्कट में इन्वेस्ट कर रहे हैं। शेयर मार्केट में निवेश करना बाजार जोखिमों के आधीन आता है। ऐसे में इस क्षेत्र में निवेश करते समय कई सावधानियों को बरतना जरूरी है। स्टॉक मार्केट में निवेश के समय आपकी जरा सी गलती एक बड़े नुकसान की वजह बन सकती है। अगर आप भी शेयर मार्केट में अपने पैसों को निवेश करने की प्लानिंग बना रहे हैं, तो आपको कुछ गलतियों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए। शेयर बाजार में पैसों का इन्वेस्ट करते समय अगर आप इन गलतियों को करते हैं, तो ज्यादा संभावना है कि आपके पैसे डूब सकते हैं। ऐसे में आपको एक बड़े वित्तीय घाटे का सामना करना पड़ेगा। इसी कड़ी में आइए जानते हैं उन गलतियों के बारे में, जिन्हें भूलकर भी शेयर मार्केट में निवेश करते समय आपको नहीं करनी चाहिए।

निवेश

बिना जानकारी के न करें निवेश

अक्सर कई लोग अपना डिमैट अकाउंट खुलवा कर बिना जानकारी के शेयर मार्केट में पैसों को निवेश करते हैं। बिना जानकारी के शेयर मार्केट में निवेश करना एक बहुत बड़ी गलती है। ऐसा करने पर आपके सारे पैसे डूब सकते हैं। स्टॉक मार्केट में निवेश करते समय आपको ये गलती कभी नहीं करनी चाहिए। स्टॉक मार्केट में निवेश करने से पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूर लें।

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