Updated Sat, 17 Dec 2022 11:33 PM IST
संयुक्त अरब अमीरात का पहला चंद्र मिशन राशिद रोवर 90% भारत द्वारा विकसित किया गया
संयुक्त अरब अमीरात के चंद्रमा पर उतरने के पहले प्रयास में भारतीय संबंध सामने आया है । राशिद रोवर चंद्रमा की सतह से गुजरने वाला यान है। रोवर के उपकरण को चेन्नई स्थित स्टार्टअप एसटी एडवांस्ड कंपोजिट्स ने बनाया है।
अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए-
- मेक इन इंडिया : एसटीएसी, चेन्नई स्थित एमएसएमई को चंद्रमा के लिए संयुक्त अरब अमीरात के पहले चंद्र मिशन के संरचनात्मक भागों को बनाने का मौका मिला। रोवर के चेन्नई कनेक्शन ने रक्षा और एयरोस्पेस उद्योग में मेक इन इंडिया आंदोलन की अवधारणा को भी चिन्हित किया है। यह इंगित करता है कि भारत निकट भविष्य में एयरोस्पेस उत्पादों के लिए एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बन रहा है।
- मिशन का विकास: राशिद रोवर अरब दुनिया का पहला चंद्र रोवर है जिसे संयुक्त अरब अमीरात की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी मोहम्मद बिन राशिद अंतरिक्ष केंद्र द्वारा विकसित किया गया है। रोवर का वजन 10 किलो से थोड़ा कम है। मिशन को सफल बनाने के लिए रोवर के वजन, मजबूती और सामग्री की विश्वसनीयता में पूर्णता होना जरूरी था।
- जरूरत : इसके लिए स्पेस एजेंसी को एक ऐसी कंपनी की जरूरत थी, जिसके पास जरूरी विशेषज्ञता हो। फिलहाल रोवर चांद की सतह पर अपना 3,85,000 किमी का सफर पूरा करने वाला है। मिशन का उद्देश्य पानी की उपस्थिति और ग्रह की परीक्षण मिट्टी की स्थिति की पहचान करना था।
एसटीएसी के संस्थापक-
एसटीएसी के संस्थापक देवेंद्र थिरुनावुकारासु ने कहा कि कई सामग्रियों का उपयोग करके संरचना को दो साल के लिए चेन्नई में विकसित किया गया था। वे सम्मिलित करते हैं;
- कार्बन फाइबर-प्रबलित प्लास्टिक (CFRP),
- मैग्नीशियम मिश्र धातु, और
- एल्यूमीनियम।
11 दिसंबर को, रोवर चंद्रमा पर भेजने के लिए तैयार किया गया था जो जापान के आईस्पेस द्वारा निर्मित लैंडर में स्पेसएक्स रॉकेट पर सवार था। रोवर के दो महीने में अपने गंतव्य तक पहुंचने की उम्मीद है।
संयुक्त अरब अमीरात के प्रधानमंत्री राशिद अल मकतूम का बयान- उन्होंने कहा कि 15 दिसंबर को राशिद रोवर ने पृथ्वी से 4,40,000 किलोमीटर की दूरी से अल खवानीज में अंतरिक्ष केंद्र को अपना पहला संदेश भेजा था. “रोवर के सभी सिस्टम ठीक से काम कर रहे हैं और यह चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करना शुरू कर देगा”।
थिरुनावुकारासु कथन-“
“रशीद रोवर चेन्नई में 90% बनाया गया है। इसमें इसकी संरचना, पहिए, सोलर पैनल, कैमरा होल्डर वगैरह शामिल हैं।
चार्ट किस बारे में बात करते हैं: तकनीकी विश्लेषण क्या है, और निवेशक इसका उपयोग क्यों करते हैं
एक्सचेंज पर कारोबार करने वाली परिसंपत्तियों का विश्लेषण करने के कई तरीके हैं। उदाहरण के लिए, कंपनियों और उनके शेयरों के मामले में, मौलिक विश्लेषण है जो निवेशकों को वर्तमान व्यापार मूल्यांकन और इसकी संभावनाओं की वैधता को समझने की अनुमति देता है। एक अन्य विधि तकनीकी विश्लेषण है, जिसमें ऐतिहासिक डेटा का अध्ययन करना शामिल है, जिसमें एक वित्तीय साधन की कीमत और व्यापारिक मात्रा में परिवर्तन शामिल हैं।
इन्वेस्टोपेडिया पोर्टल बताता है कि तकनीकी विश्लेषण क्या है, आप इस पर कितना भरोसा कर सकते हैं और आधुनिक निवेशक इस उपकरण का उपयोग कैसे करते हैं। हम आपके ध्यान में इस सामग्री के मुख्य विचार प्रस्तुत करते हैं।
नोट : संकेतक एक्सचेंज-ट्रेडेड एसेट्स के साथ काम करने के लिए सिर्फ एक सहायक उपकरण हैं, वे सकारात्मक ट्रेडिंग परिणामों की गारंटी नहीं देते हैं। संकेतकों के उपयोग को समझने के लिए, आपको एक ट्रेडिंग टर्मिनल (उदाहरण के लिए, SMARTx ), साथ ही साथ ब्रोकरेज खाते की आवश्यकता है - आप इसे ऑनलाइन खोल सकते हैं। आप आभासी पैसे के साथ एक परीक्षण खाते का उपयोग करके अभ्यास कर सकते हैं ।
तकनीकी विश्लेषण: एक संक्षिप्त इतिहास
शेयरों और रुझानों के तकनीकी विश्लेषण की अवधारणा सैकड़ों वर्षों से आसपास है। यूरोप में, व्यापारी जोसेफ डी ला वेगा ने 17 वीं शताब्दी में हॉलैंड में बाजारों के व्यवहार की भविष्यवाणी करने के लिए तकनीकी विश्लेषण प्रथाओं का उपयोग किया।
अपने आधुनिक रूप में, तकनीकी विश्लेषण का गठन चार्ल्स डॉव, विलियम पी। हैमिल्टन, रॉबर्ट रिया, डॉव सिद्धांत के लेखक और निकोलस डर्वस जैसे आम लोगों सहित अन्य फाइनेंसरों द्वारा किया गया था।
इन लोगों ने एक बाजार की कल्पना की जिसमें लहरें शामिल हैं जो चार्ट पर किसी विशेष संपत्ति के मूल्य और ट्रेडिंग वॉल्यूम के उच्च और चढ़ाव के अनुरूप हैं। तकनीकी विश्लेषण की सभी अवधारणाओं को एक साथ लाया गया और 1948 में प्रकाशित स्टॉक मार्केट ट्रेंड्स की टेक्निकल एनालिसिस बुक में रॉबर्ट डी। एडवर्ड्स और जॉन मैगी द्वारा संक्षेप में प्रस्तुत किया गया।
1990 के दशक में, जापानी कैंडलस्टिक्स के विश्लेषण पर आधारित एक तकनीक ने संयुक्त राज्य अमेरिका में लोकप्रियता हासिल की - इस विधि का उपयोग जापानी व्यापारियों द्वारा चावल के व्यापार में रुझान निर्धारित करने के लिए सैकड़ों साल पहले किया गया था। निवेशकों ने बाजार के उलटफेर की भविष्यवाणी करने के लिए मूल्य आंदोलनों के नए पैटर्न को देखने के प्रयास में स्टॉक चार्ट का विश्लेषण किया।
के लिए तकनीकी विश्लेषण क्या है?
तकनीकी विश्लेषण, इसके मूल में, उन पर खेलने और पैसा कमाने के लिए भविष्य के मूल्य आंदोलनों की भविष्यवाणी करने का एक प्रयास है। ट्रेडर्स स्टॉक और अन्य वित्तीय साधनों के चार्ट पर संकेतों की तलाश करते हैं जो रुझानों के उद्भव या इसके विपरीत, उनके अंत का संकेत दे सकते हैं।
सामान्य तौर पर, तकनीकी विश्लेषण शब्द मूल्य आंदोलनों की व्याख्या करने के लिए दर्जनों रणनीतियों को जोड़ता है। उनमें से अधिकांश यह निर्धारित करने के आसपास बनाए गए हैं कि क्या वर्तमान प्रवृत्ति पूरी होने के करीब है, और यदि नहीं, तो उलट की उम्मीद कैसे करें।
कुछ तकनीकी विश्लेषण संकेतक प्रवृत्ति लाइनों का उपयोग करते हैं, अन्य जापानी कैंडलस्टिक्स का उपयोग करते हैं, और कुछ ऐसे हैं जहां एक व्यापारी गणितीय विज़ुअलाइज़ेशन का विश्लेषण करता है। चार्ट पर एक विशिष्ट पैटर्न व्यापार के लिए वांछित प्रविष्टि या निकास बिंदु का प्रतिनिधित्व कर सकता है।
तकनीकी विश्लेषण के दो मुख्य प्रकार चार्ट पर पैटर्न खोज रहे हैं या तकनीकी, सांख्यिकीय संकेतक का उपयोग कर रहे हैं। में इस लेख, हम लोकप्रिय तकनीकी विश्लेषण संकेतकों में से कुछ को देखा।
एक व्यापार से चिह्नित प्रविष्टि और निकास बिंदुओं के साथ संकेतक "चलती औसत"।
इस प्रकार के विश्लेषण का मुख्य सिद्धांत यह है कि कीमत सभी मौजूदा जानकारी को दर्शाती है जो बाजार को प्रभावित करती है। इसका मतलब यह है कि यह सभी कारकों का विश्लेषण करने का कोई मतलब नहीं है, जैसे कि व्यापार की बुनियादी बातों, अर्थव्यवस्था की सामान्य स्थिति या बाजार में कुछ विकास के नए विकास। एक कीमत है, यह पहले से ही सब कुछ के बारे में बोलता है, लेकिन कीमतें चक्रीय रूप से चलती हैं।
तकनीकी और मौलिक विश्लेषण के समर्थकों के दृष्टिकोण में अंतर महत्वपूर्ण हैं। जबकि पूर्व बाजार के ज्ञान में विश्वास करता है, जो मूल्य के माध्यम से रुझान बनाता है, उत्तरार्द्ध का मानना है कि बाजार अक्सर वास्तव में महत्वपूर्ण कारकों को तकनीकी विश्लेषण की अवधारणाओं कम करके आंका जाता है। फंडामेंटलिस्टों का मानना है कि चार्ट पैटर्न किसी व्यवसाय के लेखांकन आंकड़ों की तुलना में कम महत्वपूर्ण हैं जिनके स्टॉक का निवेशक द्वारा विश्लेषण किया जा रहा है।
तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं
तकनीकी विश्लेषण का मुख्य नुकसान यह है कि यहां कोई भी निर्णय चार्ट की व्याख्या के आधार पर किया जाता है। एक व्यापारी व्याख्या में गलती कर सकता है, या एक सही परिकल्पना के गठन के लिए ट्रेडिंग वॉल्यूम नगण्य हो जाता है, संकेतक के लिए समय अवधि जैसे कि चलती औसत बहुत बड़ी या बहुत छोटी हो सकती है, आदि।
और एक और महत्वपूर्ण कारक: जितना अधिक लोकप्रिय तकनीकी विश्लेषण और इसकी विशिष्ट तकनीक और संकेतक बनते हैं, उतना ही यह समझना मुश्किल हो जाता है कि क्या कीमत ने चार्ट पर खुद एक निश्चित पैटर्न बनाया है, या हजारों निवेशक एक ही तस्वीर देखते हैं, मानते हैं कि बाजार गिर जाएगा और बिक्री शुरू होगी। उसकी गिरावट तेज?
किसी भी मामले में, तकनीकी विश्लेषण बाजार का विश्लेषण करने के तरीकों में से एक है। अनुभवहीन निवेशकों को अकेले इस पर भरोसा नहीं करना चाहिए। वर्चुअल मनी के साथ परीक्षण खाते का उपयोग करके ट्रेडिंग टर्मिनल में उपलब्ध तकनीकी विश्लेषण दृष्टिकोण और मौजूदा संकेतकों का अध्ययन करना बेहतर है ।
Saharanpur News: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थापित हो उच्च न्यायालय की खंडपीठ
मेरठ ब्यूरो
Updated Sat, 17 Dec 2022 11:33 PM IST
हाईकोर्ट की बेंच की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन करते दी कलेक्ट्रेट बार अधिवक्ता एसोसिएशन के अधिव? - फोटो : SAHARANPUR
सहारनपुर। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की खंडपीठ स्थापित करने की मांग को लेकर दि कलक्ट्रेट बार एसोसिएशन से जुडे़ अधिवक्ताओं ने अपर जिलाधिकारी प्रशासन डॉ. अर्चना द्विवेदी को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि पिछले करीब 37 वर्षों से खंड पीठ स्थापित किए जाने की मांग हो रही है।
अपर जिलाधिकारी प्रशासन को सौंपे ज्ञापन में अधिवक्ताओं ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय जनपद से 700 किलोमीटर और लखनऊ खंडपीठ करीब 500 किलोमीटर दूर है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के निवासियों को अपने मुकदमों के लिए काफी लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। जो संविधान और शासन के सस्ते एवं सुलभ न्याय की अवधारणा के खिलाफ है। उच्च न्यायालय की पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खंडपीठ स्थापित करने की मांग को लेकर अधिवक्ता पिछले 37 वर्षों से आंदोलनरत हैं। पिछली सरकारों द्वारा सैद्घांतिक रूप से सहमति के बावजूद जनहित की इस मांग को पूरा नहीं किया जा रहा है। इसका खामियाजा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के निवासियों को उठाना पड़ रहा है। ज्ञापन में मुख्यमंत्री से मांग पूरी कराने का आग्रह किया गया।
इस दौरान अध्यक्ष ठाकुर यशपाल सिंह, महासचिव रणवीर सिंह राठौर, हुकुम सिंह वर्मा, कृपाल सिंह, महीपाल सिंह, जगमोहन शर्मा, ज्ञान सिंह, जितेंद्र सिंह पुंडीर, भूषण प्रकाश शर्मा, अरविंद सैनी, सरोत्तन सिंह, विकेश खटाना आदि मौजूद रहे।
सहारनपुर। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की खंडपीठ स्थापित करने की तकनीकी विश्लेषण की अवधारणाओं मांग को लेकर दि कलक्ट्रेट बार एसोसिएशन से जुडे़ अधिवक्ताओं ने अपर जिलाधिकारी प्रशासन डॉ. अर्चना द्विवेदी को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि पिछले करीब 37 वर्षों से खंड पीठ स्थापित किए जाने की मांग हो रही है।
अपर जिलाधिकारी प्रशासन को सौंपे ज्ञापन में अधिवक्ताओं ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय जनपद से 700 किलोमीटर और लखनऊ खंडपीठ करीब 500 किलोमीटर दूर है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के निवासियों को अपने मुकदमों के लिए काफी लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। जो संविधान और शासन के सस्ते एवं सुलभ न्याय की अवधारणा के खिलाफ है। उच्च न्यायालय की पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खंडपीठ स्थापित करने की मांग को लेकर अधिवक्ता पिछले 37 वर्षों से आंदोलनरत हैं। पिछली सरकारों द्वारा सैद्घांतिक रूप से सहमति के बावजूद जनहित की इस मांग को पूरा नहीं किया जा रहा है। इसका खामियाजा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के निवासियों को उठाना पड़ रहा है। ज्ञापन में मुख्यमंत्री से मांग पूरी कराने का आग्रह किया गया।
इस दौरान अध्यक्ष ठाकुर यशपाल सिंह, महासचिव रणवीर सिंह राठौर, हुकुम सिंह वर्मा, कृपाल सिंह, महीपाल सिंह, जगमोहन शर्मा, ज्ञान सिंह, जितेंद्र सिंह पुंडीर, भूषण प्रकाश शर्मा, अरविंद सैनी, सरोत्तन सिंह, विकेश खटाना आदि मौजूद रहे।
G20 है भारत के लिए अपनी डिजिटल नीति प्रदर्शित करने का सही अवसर : मोहनदास पई
पद्म श्री पुरस्कार विजेता टी. वी. मोहनदास पई ने कहा कि G20 भारत के लिए उसकी डिजिटल नीति प्रदर्शित करने का सही मौका है।उन्होंने कहा कि भारत ने डेटा का डिजिटल तरीके से उपयोग और प्रयोग करके अपनी विकास यात्रा को आगे बढ़ाया है। मोहनदास पई इन्फोसिस के पूर्व निदेशक रह चुके हैं और उन्होंने प्रशासन,शिक्षा,अनुसंधान वित्तीय और मानव संसाधन में उल्लेखनीय कार्य किये हैं।
भारत में तेजी से हो रहा है डिजिटलीकरण
मोहनदास पई ने कहा कि इंडोनेशिया के बाली में हुई G20 बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने टेक्नोलॉजी ट्रांसफॉर्मेशन के एजेंडे को मुख्य तौर पर रखा। इससे पहले 15 अगस्त 2015 को जब प्रधानमंत्री ने लाल किले से डिजिटल इंडिया,स्टेंडअप इंडिया और स्टार्टअप इंडिया का आह्वान किया था तब शायद ही बहुत से लोगों ने इसका विस्तृत अर्थ समझा हो लेकिन वर्तमान समय में न केवल भारत तकनीकी विश्लेषण की अवधारणाओं बल्कि पूरा विश्व भारत की इस प्रगति को देख रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत आज दुनिया की 5वी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और पीपीपी के आधार पर भारत दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बन गया है। भारत आगामी वर्षों में डिजिटल लीडर के रूप में डिजिटल क्रांति लाने में सक्षम है। उन्होंने आकड़ें के माध्यम से समझाया कि आज भारत में 1.3 बिलियन लोग डिजिटल आधार के माध्यम से सरकार से जुड़े हैं वहीं वर्तमान में UPI के माध्यम से केवल एक ही माह में लगभग 150 बिलियन का लेन-देन हुआ है। उन्होंने कहा कि आज हमारे पास E-KYC, E लॉकर और अकाउंट एग्रीगेटर जैसी सुविधाओं मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि हमने डिजिटल इकोनॉमी का एक सुंदर उदाहरण तब देखा जब प्रधानमंत्री ने केवल एक बटन दबाया और 9 करोड़ किसानों के खातों में धनराशि पहुँच गई।
डिजिटल पब्लिक गुड्स में भारत का अग्रणी कदम
डिजिटल पब्लिक गुड्स को चिन्हित करते हुए उन्होंने बताया कि भारत ‘डिजिटल पब्लिक गुड्स’ की अवधारणा पर अग्रणी कदम बढ़ा रहा है जो उस सुगमता, पारदर्शिता और गति में वृद्धि कर रहा है जिसके साथ व्यक्ति, बाजार और सरकार परस्पर अंतःक्रिया करते हैं। आधार (Aadhaar) और इंडिया स्टैक (India Stack) की नींव पर निर्मित बड़े और छोटे मॉड्यूलर एप्लिकेशन हमारे भुगतान करने, PF निकासी, पासपोर्ट व ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने एवं भूमि रिकॉर्ड की जाँच करने जैसी गतिविधियों को रूपांतरित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार अंतिम व्यक्ति तक कैसे पहुंचे इसके लिए भारत ने डिजिटल तरीके से उसका हल निकाल कर दुनिया के सामने एक बेहतर उदाहरण प्रस्तुत किया है। अन्य देशों के उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया में लगभग 400 करोड़ लोगों के पास आज भी कोई पहचान का मानक नही है वहीं तकरीबन 200 करोड़ लोग बिना किसी बैंक प्रणाली के आर्थिक क्रियाएं करने पर मजबूर हैं। मोहनदास पई ने कहा कि भारत अब वर्तमान विश्व में अपनी इस प्रणालियाँ को दूसरे देशों को भी दे सकता है।
वर्तमान डिजिटल दुनिया और डेटा में भारत का विशेष योगदान
उन्होंने बताया कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा सॉफ्टवेयर निर्यातक है। जो दुनिया के 60 प्रतिशत सॉफ्टवेयर बनाता और बेचता है। इसके अलावा लगभग 5.5 मिलियन लोग भारत की टेक इंडस्ट्री में काम करते हैं जो भारत को दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी टेक हयूमन कैपिटल बनाता है। दुनिया कि 10 सबसे बड़ी टेक सर्विस कंपनियों में से 5 अकेले भारत में हैं।
ध्यान हो कि भारत सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने वित्तीय समावेशन के साथ-साथ डिजिटल आधारभूत संरचना के उपयोग को बढ़ावा दिया है। हाई स्पीड वाईफाई सहित डिजिटल बुनियादी ढाँचे तक देशव्यापी पहुँच प्रदान करने की योजना ने भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया है वहीं डिजिटल अर्थव्यवस्था का दूसरा चरण भारत में इलेक्ट्रॉनिक और मोबाइल कॉमर्स में वृद्धि है। तकनीकी रूप से समझदार युवा पीढ़ी वस्तुओं की खरीद का सबसे सरल माध्यम ऑनलाइन खरीद को मानती है। इससे देश में ई-कॉमर्स और एम-कॉमर्स का विस्तार हुआ है।
डिजिटल अर्थव्यवस्था में प्रत्येक स्तर पर डेटा की उपयोगिता बढ़ती जा रही है। हमारी अर्थव्यवस्था इस तरह के डेटा को समझने और विश्लेषण करने के दौर से गुजर रही है। इसी के मद्देनजर भारत सरकार ने अपना स्वयं का ओपन डेटा पोर्टल लॉन्च किया है जहाँ विश्लेषण के लिये डेटा उपलब्ध है। डेटा की निरंतर बढ़ती जा रही मात्रा और रणनीतिक महत्त्व को देखते हुए डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिये सरकार डेटा एनालिटिक्स के क्षेत्र में प्रशिक्षण और अनुसंधान प्रदान करने में सहायता कर रही है।
मस्ती की पाठशाला का दूसरा संस्करण लॉन्च
रायपुर। सरकारी स्कूलों में आनंदपूर्वक सीखने हेतु ट्रांसफॉर्म स्कूल्स, पीपल फॉर एक्शन ने मस्ती की पाठशाला 2.0 एससीईआरटी, छत्तीसगढ़ की साझेदारी में लांच करने का पहल किया है। दीक्षा प्लैटफॉर्म के माध्यम से 12 घंटे की मजेदार शिक्षण सामग्री, मस्ती की पाठशाला 2.0 को डिजिटल माध्यम से 13 दिसंबर से 30 दिसंबर 2022 तक संचालित किया जाएगा।जिसमें मजेदार गतिविधि-आधारित सामग्री कक्षा 6-9 के छात्रों को सामाजिक - भावनात्मक शिक्षा, पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र विज्ञान की मूलभूत अवधारणाओं और स्वयं से करें जैसी अन्य गतिविधियों में संलग्न करेगी ताकि छात्रों के बीच उनके पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना विकसित की जा सके।
मस्ती की पाठशाला के इस दूसरे संस्करण का उद्देश्य, छात्र इस संवादात्मक शिक्षण सामग्री का उपयोग करते हुए सीखने की प्रक्रिया के साथ फिर से जुड़ना तथा अपनी गति से काम करना है । 21 वीं सदी के वास्तविक जीवन परिदृश्यों में यह कैसे फिट बैठता है, इसके बारे में वैचारिक स्पष्टता और जागरूकता का निर्माण करते हुए, छात्र सीखने के साथ इस तरह से जुड़ पाएँगे जो उनकी जिज्ञासा और अधिक सीखने के प्रति रुचि जगाएगा। मुख्य विशेषताएं: मूलभूत दक्षताएं, पारिस्थितिकी तंत्र, हमारा आवास, खाद्य श्रृंखला, स्थिरता, सचेतन जार, स्वयं से करें जैसी अन्य गतिविधियां शामिल हैं । साकिब अहसन स्टेट लीड, छत्तीसगढ़
"इस कार्यक्रम के माध्यम से छात्रों को सामाजिक एवं भावनात्मक शिक्षा, पर्यावरण और विज्ञान की मूलभूत अवधारणाओं और स्वयं से करें जैसी अन्य गतिविधियों को सीखने का मौक़ा मिलेगा,जिससे छात्रों के बीच उनके पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना विकसित की जा सके। इस कार्यक्रम का लाभ सभी छात्रों को मिले, इसके लिए सभी छात्र इस कोर्स में लॉगिन करें, शिक्षक अपने कक्षा के बच्चों के साथ गतिविधियों को साझा करें और पाठ पढ़ने के लिए बच्चों की रुचि उत्त्पन्न कर उन्हें प्रोत्साहित करेंगे" - श्री राजेश सिंह राणा, निर्देशक - एससीईआरटी, रायपुर छत्तीसगढ़
"मस्ती की पाठशाला 2.0 स्कूली शिक्षा को हमारे आसपास की दुनिया से जोड़ने का और एक जिम्मेदार वैश्विक नागरिक बनने का मौका देती है. । दो सप्ताह का यह जुड़ाव हमें हमारे परिवेश के प्रति जिम्मेदारी को समझने के साथ-साथ पारिस्थितिक तंत्र से परिचित होने और हमारे सामूहिक घर - पृथ्वी के प्रति हमारी भूमिका और जिम्मेदारी को समझने का एक अवसर प्रदान करेगी। यह कार्यक्रम अपनी रुचि और अपनी गति से सीखने की इच्छा को प्रोत्साहित करता है"- डॉ. रिचा गोस्वामी, सहयोगी निदेशक, ट्रांसफ़ॉर्म स्कूल
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 828