Digital Signal Processing :DSP

इस डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग एप्लिकेशन में शामिल कुछ विषय हैं:

1. सिग्नल और सिस्टम का परिचय
2. सिग्नल और सिग्नल का वर्गीकरण
3. बुनियादी सतत-समय संकेत
4. बुनियादी असतत-समय संकेत
5. सिस्टम और सिस्टम का वर्गीकरण
6. डीएसपी की जड़ें
7. दूरसंचार
8. ऑडियो प्रोसेसिंग
9. इको लोकेशन
10. छवि प्रसंस्करण
11. सिग्नल और ग्राफ शब्दावली
12. सिग्नल बनाम अंतर्निहित प्रक्रिया
13. सामान्य वितरण
14. डिजिटल शोर पीढ़ी
15. प्रेसिजन और शुद्धता
16. रैखिक समय-अपरिवर्तनीय प्रणालियों का परिचय
17. एक सतत समय एलटीआई प्रणाली और कनवल्शन इंटीग्रल की प्रतिक्रिया
18. सतत-समय एलटीआई प्रणाली के गुण
19. सतत-समय एलटीआई प्रणाली के मूल कार्य
20. विभेदक समीकरणों द्वारा वर्णित प्रणाली
21. असतत समय एलटीआई प्रणाली और संकल्प राशि की प्रतिक्रिया
22. असतत-समय एलटीआई प्रणाली के गुण
23. असतत-समय एलटीआई प्रणाली के मूल कार्य
24. विभिन्न समीकरणों द्वारा वर्णित प्रणाली
25. परिमाणीकरण
26. डिजिटल-से-एनालॉग रूपांतरण
27. नमूनाकरण प्रमेय
28. Antialias फ़िल्टर का चयन
29. डेटा रूपांतरण के लिए एनालॉग फ़िल्टर
30. मल्टीरेट डेटा रूपांतरण
31. सिंगल बिट डेटा रूपांतरण
32. मूल बातें फ़िल्टर करें
33. सिग्नल में सूचना का प्रतिनिधित्व कैसे किया जाता है
34. समय डोमेन पैरामीटर्स
35. आवृत्ति डोमेन पैरामीटर्स
36. हाई-पास, बैंड-पास और बैंड-रिजेक्ट फिल्टर
37. फ़िल्टर वर्गीकरण
38. शोर में कमी बनाम कदम प्रतिक्रिया
39. आवृत्ति प्रतिक्रिया
40. मूविंग एवरेज फिल्टर के रिश्तेदार
41. लाप्लास ट्रांसफॉर्म क्या मूविंग एवरेज कम पास फिल्टर है? और कंटीन्यूअस-टाइम एलटीआई सिस्टम का परिचय
42. लैपलेस ट्रांसफॉर्म
43. कुछ सामान्य संकेतों के लैपलेस रूपांतरण
44. लैपलेस ट्रांसफॉर्म के गुण
45. व्युत्क्रम लाप्लास परिवर्तन
46. ​​सिस्टम फंक्शन
47. एकतरफा लैपलेस ट्रांसफॉर्म
48. जेड-ट्रांसफॉर्म और डिस्क्रीट-टाइम एलटीआई सिस्टम का परिचय
49. जेड-ट्रांसफॉर्म
50. कुछ सामान्य अनुक्रमों के Z-रूपांतरण
51. जेड-ट्रांसफॉर्म के गुण
52. उलटा जेड-ट्रांसफॉर्म

वर्ण सीमाओं के कारण सभी विषय सूचीबद्ध नहीं हैं।

प्रत्येक विषय बेहतर सीखने और त्वरित समझ के लिए आरेखों, समीकरणों और अन्य प्रकार के चित्रमय प्रतिनिधित्व के साथ पूर्ण है।

विशेषताएँ :
* अध्याय वार पूर्ण विषय
* रिच यूआई लेआउट
*आरामदायक रीड मोड
*महत्वपूर्ण परीक्षा विषय
* बहुत ही सरल यूजर इंटरफेस
*अधिकांश विषयों को कवर करें
* एक क्लिक से संबंधित सभी पुस्तकें प्राप्त करें
* मोबाइल अनुकूलित सामग्री
* मोबाइल अनुकूलित छवियां

यह ऐप त्वरित संदर्भ के लिए उपयोगी होगा। इस ऐप का उपयोग करके सभी अवधारणाओं का संशोधन कई घंटों के भीतर समाप्त किया जा सकता है।

डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग कंप्यूटर विज्ञान, संचार और अन्य इंजीनियरिंग शिक्षा पाठ्यक्रम और विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रौद्योगिकी डिग्री कार्यक्रमों का हिस्सा है।

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CNG Car दे रही कम माइलेज तो फटाफट अपनाएं ये तरीके

पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के चलते लोग सीएनजी कारों को अधिक तरजीह देते हैं, लेकिन कई लोगों की सीएनजी कार कम माइलेज देती है. वे उसे इन तरीकों से बढ़ा सकते हैं.

  • जानिए कैसे आप बढ़ा सकते हैं अपनी कार का माइलेज
  • कार की नियमित अंतराल पर सर्विसिंग कराना है जरूरी

ट्रेंडिंग तस्वीरें

CNG Car दे रही कम माइलेज तो फटाफट अपनाएं ये तरीके

CNG Car Mileage: पेट्रोल और डीजल (Petrol Diesel Price) की बढ़ती कीमतों के चलते लोग सीएनजी कारों (CNG Cars) को अधिक तरजीह देते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह सीएनजी के दाम पेट्रोल व डीजल के मुकाबले काफी कम होना है, लेकिन कई लोगों की सीएनजी कार कम माइलेज (CNG Car Mileage) देती है. अक्सर ऐसे लोगों की शिकायत रहती है कि उनकी सीएनजी कार ज्यादा बेहतर माइलेज नहीं देती. अगर आप भी इस तरह की परेशानी झेल रहे हैं तो पहले ये चीजें चेक करवा लें. इनके जरिए आपकी कार का माइलेज बढ़ सकता है.

कहीं स्पार्क प्लग तो खराब नहीं
दरअसल, भारत में CNG Cars की काफी डिमांड है. ये पेट्रोल के मुकाबले काफी सस्ती हैं और इसके जरिए कार बढ़िया माइलेज के साथ चलती हैं. यानी सीएनजी कारों के लिए प्रति किलोमीटर लागत भी कम होती है. हालांकि, इसके बाद भी कई लोगों की कार कम माइलेज देती हैं. इसके पीछे कुछ सामान्य वजहें हो सकती हैं. जैसे, आपकी कार के स्पार्क प्लग का खराब हो जाना या घिस जाना. दरअसल, यह कार की बेहतर माइलेज के लिए सबसे जरूरी पार्ट्स में से एक है. अमूमन हर 10 हजार किलोमीटर गाड़ी चलाने के बाद इसे बदलवा देना चाहिए.

CNG Leakage की करवा लें जांच
इसी तरह अगर आपकी कार कम माइलेज दे रही है तो एक बार उसका एयर फिल्टर चेक करवा लें, क्योंकि इसके गंदा होने से कार कम माइलेज देती है. इसे हर सर्विस पर बदलवा लेना चाहिए. वहीं, कार की नियमित अंतराल पर सर्विसिंग कराना भी जरूरी है. आपको सीएनजी लीकेज (CNG Leakage) की जांच भी जरूर करवानी चाहिए. कई बार ऐसा होता है कि किसी पॉइंट से गैस लीक हो रही होती है और इस बारे में पता ही नहीं चलता है. इसका असर माइलेज पर पड़ता है.

इसके अलावा भी कुछ बातें हैं जिन्हें ध्यान में रखना जरूरी है. मसलन, समय-समय पर सीएनजी की सर्विस, सीएनजी किट में क्या मूविंग एवरेज कम पास फिल्टर है? बेहतर क्वॉलिटी वाले पार्ट्स का इस्तेमाल, कार के टायर का प्रेशर और क्लच और इग्निशन कॉइल की जांच. अगर आप ये सब बातें ध्यान में रखेंगे तो आपकी सीएनजी कार बेहतर माइलेज देगी.

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CNG Car दे रही कम माइलेज तो फटाफट अपनाएं ये तरीके

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  • जानिए कैसे आप बढ़ा सकते हैं अपनी कार का माइलेज
  • कार की नियमित अंतराल पर सर्विसिंग कराना है जरूरी

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CNG Car Mileage: पेट्रोल और डीजल (Petrol Diesel Price) की बढ़ती कीमतों के चलते लोग सीएनजी कारों (CNG Cars) को अधिक तरजीह देते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह सीएनजी के दाम पेट्रोल व डीजल के मुकाबले काफी कम होना है, लेकिन कई लोगों की सीएनजी कार कम माइलेज (CNG Car Mileage) देती है. अक्सर ऐसे लोगों की शिकायत रहती है कि उनकी सीएनजी कार ज्यादा बेहतर माइलेज नहीं देती. अगर आप भी इस तरह की परेशानी झेल रहे हैं तो पहले ये चीजें चेक करवा लें. इनके जरिए आपकी कार का माइलेज बढ़ सकता है.

कहीं स्पार्क प्लग तो खराब नहीं
दरअसल, भारत में CNG Cars की काफी डिमांड है. ये पेट्रोल के मुकाबले काफी सस्ती हैं और इसके जरिए कार बढ़िया माइलेज के साथ चलती हैं. यानी सीएनजी कारों के लिए प्रति किलोमीटर लागत भी कम होती है. हालांकि, इसके बाद भी कई लोगों की कार कम माइलेज देती हैं. इसके पीछे कुछ सामान्य वजहें हो सकती हैं. जैसे, आपकी कार के स्पार्क प्लग का खराब हो जाना या घिस जाना. दरअसल, यह कार की बेहतर माइलेज के लिए सबसे जरूरी पार्ट्स में से एक है. अमूमन हर 10 हजार किलोमीटर गाड़ी चलाने के बाद इसे बदलवा देना चाहिए.

CNG Leakage की करवा लें जांच
इसी तरह अगर आपकी कार कम माइलेज दे रही है तो एक बार उसका एयर फिल्टर चेक करवा लें, क्योंकि इसके गंदा होने से कार कम माइलेज देती है. इसे हर सर्विस पर बदलवा लेना चाहिए. वहीं, कार की नियमित अंतराल पर सर्विसिंग कराना भी जरूरी है. आपको सीएनजी लीकेज (CNG Leakage) की जांच भी जरूर करवानी चाहिए. कई बार ऐसा होता है कि किसी पॉइंट से गैस लीक हो रही होती है और इस बारे में पता ही नहीं चलता है. इसका असर माइलेज पर पड़ता है.

इसके अलावा भी कुछ बातें हैं जिन्हें ध्यान में रखना जरूरी है. मसलन, समय-समय पर सीएनजी की सर्विस, सीएनजी किट में बेहतर क्वॉलिटी वाले पार्ट्स का इस्तेमाल, कार के टायर का प्रेशर और क्लच और इग्निशन कॉइल की जांच. अगर आप ये सब बातें ध्यान में रखेंगे तो आपकी सीएनजी कार बेहतर माइलेज देगी.

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घर में लें थिएटर का मजा, लगाएं प्रोजेक्टर

डीएलपी या एलसीडी या एलईडी प्रोजेक्टर
ये तीन अलग-अलग क्या मूविंग एवरेज कम पास फिल्टर है? टेक्नॉलजीज हैं। डीएलपी (डिजिटल लाइट प्रोसेसिंग) में छोटी सी माइक्रोस्कोपिक मिरर की बनी चिप का इस्तेमाल होता है। साथ ही, इसमें एक स्पिनिंग कलर वील भी होता है। डीएलपी शार्प इमेजेज देता है, इसका रेस्पॉन्स टाइम भी बेहतर होता है और साथ ही इसमें 3D आउटपुट की भी क्षमता होती है। क्या मूविंग एवरेज कम पास फिल्टर है? यह ऐक्टिव और पैसिव, दोनों तरह के प्रोजेक्शन को सपोर्ट करता है। कुछ लोगों को डीएलपी में कलर बेंडिंग लगती है। एलसीडी प्रोजेक्टर्स में लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले का इस्तेमाल होता है। इनमें कोई मूविंग पार्ट्स नहीं होते हैं और इस वजह से ये आमतौर पर कम महंगे होते हैं। एलसीडी में बेहतर सेचुरेशन, कम नॉइज मिलता है और ये बड़े वेन्यूज में ज्यादा बेहतर काम करते हैं। हालांकि, इनके फिल्टर की मेनटिनेंस की जरूरत होती है और इनमें कम कंट्रास्ट होता है। एलईडी प्रोजेक्टर्स आमतौर पर बेहद छोटी एलईडी का इस्तेमाल करते हैं और इनका जीवनकाल 20,000 घंटे से ज्यादा होता है। ये बेहतर कलर्स डिलिवर करते हैं, साथ ही इनमें कम पावर कंजम्पशन होता है और एक तरह से इनकी मेनटिनेंस कॉस्ट जीरो होती है। एलईडी प्रोजेक्टर्स एलसीडी या डीएलपी के मुकाबले छोटे होते हैं। एलईडी प्रोजेक्टर्स में कम हीट निकलती है, लेकिन एक चीज याद रखिए कि एलसीडी या डीएलपी प्रोजेक्टर्स के मुकाबले क्या मूविंग एवरेज कम पास फिल्टर है? एलईडी प्रोजेक्टर्स में ब्राइटनेस सीमित होती है।

पॉकेट प्रोजेक्टर्स
पॉकेट या पिको प्रोजेक्टर्स में एलईडी को लाइट सोर्स के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी वजह से ये काफी कॉम्पैक्ट हो जाते हैं। इन्हें ट्राउजर की पॉकेट तक में रखा जा सकता है। ज्यादातर पिको प्रोजेक्टर्स पाम साइज के होते हैं। इन्हें मोबाइल फोन्स (सैमसंग गैलक्सी बीम) या हैंडहेल्ड डिजिटल कैमरा (निकॉन एस 1000पीजे) के साथ भी इंटिग्रेट किया जा सकता है। हालांकि, ये प्रोजेक्टर्स ज्यादा रेजॉलूशन या ब्राइटनेस नहीं ऑफर करते। ऐसे में ये छोटे और डार्क रूम के लिए ज्यादा मुफीद माने जाते हैं। आप 60 इंच तक की स्क्रीन साइज चुन सकते हैं और आप अपने स्मार्टफोन, गेमिंग कंसोल्स और लैपटॉप्स को इनसे जोड़ सकते हैं। कुछ डिजाइन्स में बिल्ट-इन एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम, इंटरनल मेमरी और रीचार्जेबल बैटरी भी होती है। इतना सब कुछ होने के बावजूद इन डिवाइस का वजन 500 ग्राम से भी कम होता है।

दीवार या स्क्रीन
आप स्क्रीन के बजाय दीवार का चुनाव कर सकते हैं, लेकिन प्रोजेक्टर इस पर बेहतर परफॉर्म नहीं कर पाता है। स्क्रीन दीवार के मुकाबले ज्यादा बेहतर जरिया है। कुछ स्क्रीन्स ज्यादा लाइट रिफ्लेक्ट करती हैं। यह ज्यादा रोशनी वाले कमरों में अच्छा परफॉर्म करती हैं या इसका रिजल्ट तब अच्छा आता है जब आपके प्रोजेक्टर में कम क्या मूविंग एवरेज कम पास फिल्टर है? ब्राइटनेस हो। स्क्रीन्स को बाकी ऑब्जेक्ट्स के सामने भी रखा जा सकता है। कुछ लोगों का कहना है कि स्क्रीन्स के चारों ओर ब्लैक बॉर्डर्स भी कंट्रास्ट बढ़ा देते हैं। इससे इमेज बेहतर हो जाती है। इसके अलावा स्क्रीन्स में वाइट और ग्रे का सही शेड होता है, जिससे कलर कास्ट की प्रॉब्लम दूर हो जाती है। अगर आप दीवार का इस्तेमाल करते हैं, तो यह एकदम स्मूद होनी चाहिए और एकदम सफेद पेंट होनी चाहिए। आप प्रोजेक्टर्स के लिए इसे स्पेशल एक्रेलिक रिफ्लेक्टिव पेंट करा सकते हैं।

टिप्स
प्रोजेक्टर का सही प्लेसमेंट सबसे जरूरी है। अगर कमरे की दिक्कतों की वजह से ऐसा संभव न हो, तभी डिजिटल करेक्शंस की मदद लें।

कुछ हाई-एंड प्रोजेक्टर्स में लेंस-शिफ्ट डायल्स आते हैं। यह एक फिजिकल रेल है, जो लेंस को ऊपर, नीचे और साइड में शिफ्ट करता है और इससे इमेज भी इधर-उधर मूव करती है। निश्चित तौर पर इससे प्रोजेक्टर प्लेसमेंट में काफी फ्लेक्सिबिलिटी हासिल हो जाती है।

सीलिंग माउंट क्या मूविंग एवरेज कम पास फिल्टर है? प्रोजेक्टर की व्यवस्था बेहतर है, क्योंकि इसके एक बार सेटअप करने के बाद इसके हिलने के आसार कम होते हैं। इससे प्रोजेक्टर भी व्यूअर से ठीक दूरी पर रहता है जिससे फैन नॉइज भी कम महसूस होता है।

प्रोजेक्टर से जुड़ी अटपटी चीजें समझनाकीस्टोन
अगर प्रोजेक्टर एकदम स्क्रीन के लंबवत नहीं है, तो मिलने वाली इमेज पूरी तरह चौकोर नहीं होगी। इससे कीस्टोनिंग या कीस्टोर एरर कहते हैं। ज्यादातर प्रोजेक्टर्स डिजिटल वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल कीस्टोन करेक्शन ऑफर करते हैं।

लैंप लाइफ
लैंप रिप्लेसमेंट से ऑनरशिप की टोटल कॉस्ट जुड़ी होती है। ऐसे में आपको लैंप लाइफ और कॉस्ट्स के बारे में परचेज के वक्त अच्छे से पता कर क्या मूविंग एवरेज कम पास फिल्टर है? लेना चाहिए। औसत तौर पर, एक लैंप 2,000 से 4,000 घंटे चलता है। इसका मतलब यह नहीं है कि यह इससे ज्यादा नहीं चल क्या मूविंग एवरेज कम पास फिल्टर है? सकता। यह ज्यादा चल सकता है, मगर इसका आउटपुट वक्त के साथ कमजोर होता जाता है।

कंट्रास्ट रेशियोएएनएसआई या डायनमिक
कंट्रास्ट रेशियो डार्केस्ट और ब्राइटेस्ट पिक्सल के बीच के अंतर को बताता है। यह जितना ज्यादा होगा उतना ही अच्छा है। डायनमिक रेशियो अक्सर ज्यादा होता है। यह सभी वाइट और ऑल ब्लैक इमेज के बीच का अंतर मापता है। एएनएसआई कंट्रास्ट में 16 ऑल्टरनेटिंग ब्लैक/वाइट स्क्वेयर का आकलन किया जाता है।

कलर टेंपरेचर
डिग्री केल्विन में इसकी माप होती है। ऐसे में कलर टेंपरेचर विजिबल लाइट के कैरक्टरिस्टिक को बताता है।

3एलसीडी
यह सिस्टम इंडिविजुअल एलसीडी को रेड, ग्रीन और ब्लू में इस्तेमाल करता है। हर एलसीडी से लाइट एक प्रिज्म के जरिए कंबाइन होती है और फाइनल इमेज क्रिएट करती है। इसमें आमतौर पर सिंगल चिप एलसीडी या डीएलपी डिजाइन्स के मुकाबले बेहतर क्वॉलिटी होती है।

कार से घूमने जाने से पहले इन बातों का रखें ध्यान, सड़क पर नहीं होंगे परेशान

कार में लगे टायर की खराब स्थिति का माइलेज पर भी असर पड़ता है.

अगर आपके पास कार है तो आपको कई बार दूर के सफर पर भी जाना होता है. दिसंबर में तो छुट्टियों के लिए आप कार से बाहर घुमने जाने की योजना बना भी रहे होंगे. आप रास्ते में अपनी कार को लेकर परेशान न हों, यह सुनिश्चित करना आपकी सुविधा के लिए बहुत जरूरी है. इसके लिए आपको अपनी कार की देखभाल पर गौर करना होगा. लापरवाही या टाल-मटोल से आप कभी सड़क पर फंस सकते हैं. यहां कार की देखभाल से जुड़ी कुछ अहम बातों पर अमल करें तो शायद आने वाली छुट्टियों में कार से घूमने का मजा किरकिरा नहीं होगा.

देखभाल के लिए अतिरिक्त समय
कार से घूमने जाने से पहले आप इतना समय जरूर निकालें ताकि आप इसकी देखभाल कर सकें. जाने से पहले कार की बेल्ट, होज, ब्रेक, लाइट, इंजन ऑयल, केबिन एयर फिल्टर और वाइपर ब्लेड की अच्छी तरह जांच-पड़ताल करें. वाहन के ऑनर मैनुअल की जांच करना और सुझाए गए रखरखाव के समय के लिए शेड्यूल पर भी नजर डाल लेनी चाहिए.

लिक्विड के स्तर की जांच
कार में लिक्विड के स्तर की जांच अवश्य करें. इसमें किसी प्रकार की कमी से उस तरह की खराबी का सामना करना पड़ सकता है जिसके बारे में आपने सोचा तक नहीं होगा. कार के ट्रांसमिशन फ्लूड, पावर स्टीयरिंग फ्लूड और कूलैंट फ्लूड की जांच करें.

असहज स्थिति से बचने की तैयारी
रास्ते में कुछ वैसी स्थिति आ जाए जिसकी आपने उम्मीद नहीं की थी, इसको भी ध्यान में रखते हुए कार की देखभाल करनी जरूरी है. यह सुनिश्चित करें कि अतिरिक्त बैटरी के साथ कार की फ्लैश लाइट काम रही हो. किसी अनहोनी की स्थिति में कार में इमरजेंसी रिफ्लेक्टर और प्राथमिक उपचार किट जरूर हो. यह भी सुनिश्चत करें कि आपकी कार की विंडशील्ड वाइपर अच्छे से काम कर रहा हो. यह बारिश में सड़क पर सामने देखने में मदद करेगी.

टायर की खास चेकिंग
कार की देखभाल में टायर बेहद महत्वपूर्ण हैं. घर से निकलने से पहले कार के सभी टायर में पर्याप्त दबाव है या नहीं, इसकी जांच करा लें. अतिरिक्त टायर की भी ऐसी जांच कराने से नहीं चूकें. कार में लगे टायर की खराब स्थिति का माइलेज पर भी असर पड़ता है.

इंजन ऑयल
हो सकता है कि आपको कार के इंजन ऑयल को बदलने की जरूरत हो, इसकी जांच करें. आप इंजन ऑयल के ग्रेड भी बदल सकते हैं. तेल ग्रेड समय के साथ बदल सकता है, इसलिए ऑनर मैनुअल इंजन तेल के मोटे ग्रेड का उपयोग करने की सिफारिश कर सकता है.

कार की टेस्ट ड्राइव
घूमने जाने से कुछ दिन पहले अपनी कार की टेस्ट ड्राइव करें. इसमें यह देखें कि कार में किस तरह क्या मूविंग एवरेज कम पास फिल्टर है? की कमी महसूस हो रही है. कार में कोई अस्वाभाविक आवाज तो नहीं आ रही. यह आवाज ब्रेक, सस्पेंसन और चेसिस से जुड़ी हो सकती है.

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